न्यायाधीश अनूप कुमार ढंड ने छिंदरपाल सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि पहले हम दो जेंडर मानते थे, लेकिन अब तीसरे जेंडर को भी मान्यता है। प्रार्थी सर्जरी के बाद पुरुष बन गया और उसके दो संतान हैं। सेवा रिकॉर्ड में संशोधन नहीं किए जाने से समाज में अब उसकी पहचान को लेकर मुश्किल हो रही है। उसकी पत्नी व बच्चों को परिलाभ प्राप्त करने में भी दिक्कत होगी। याचिकाकर्ता ने सर्जरी करवाकर पुरुष बनने का विकल्प चुना। ऐसे में वह सेवा रिकॉर्ड में नाम और जेंडर बदलवाने का हकदार है। कोर्ट ने मामले में याचिकाकर्ता से कहा कि वह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम-2019 के अंतर्गत कलक्टर को आवेदन करे और कलक्टर दो माह में जांच कर उसे प्रमाण पत्र जारी करें। विभाग इस प्रमाण पत्र के आधार पर उसके सेवा रिकॉर्ड में संशोधन करे।
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2013 में महिला वर्ग में बना पीटीआई
याचिका में कहा गया कि प्रार्थी का जन्म महिला के रूप में हुआ और उसमें पुरुष के गुण भी थे। वर्ष 2013 में वह महिला वर्ग में पीटीआई बन गया। बाद में उसने सर्जरी करा ली और अब वह पुरुष के रूप में जीवन जी रहा है। इसके अनुरूप सितंबर 2018 में सेवा रिकॉर्ड में संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया, लेकिन राज्य सरकार ने रिकॉर्ड में संशोधन नहीं किया। इस पर याचिका दायर कर राज्य सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया।