दोनों मामलों में सुनवाई 5 जुलाई को होगी। न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह सिराधना ने बजरी लीज एलओआइ धारकों की सोसायटी की दो अलग-अलग याचिकाओं पर यह आदेश दिए। कोर्ट ने जहां अवैध खनन को रोकने के लिए चैक पोस्टों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने व एसपी को मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी है, वहीं लीज धारकों को खनन की अनुमति मामले में अब तक की कार्रवाई की जानकारी देने के लिए राज्य सरकार के ५ खान विभाग के संबंधित अधिकारी को हाजिर होने के निर्देश दिए हैं।
अब तक नहीं मिली खनन की अनुमति
सोसायटी की एक याचिका में कहा गया कि नदियों में बजरी के पुनर्भरण संबंधी अध्ययन बिना सभी 82 लीज धारकों को खनन की अनुमति देने पर पाबंदी लगी हुई है, वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अवैध रूप से बजरी का खनन हो रहा है। दूसरी याचिका में कहा गया कि पर्यावरण मंत्रालय ने 19 प्रस्तावों पर विचार किया। इसके बावजूद अब तक खनन की अनुमति नहीं मिल पाई है।
अफसरों से मांगा 5 जुलाई तक जवाब
अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार के प्रमुख खान सचिव, खान व भूगर्भ विज्ञान के निदेशक, एसीएस होम व डीजीपी को नोटिस जारी कर 5 जुलाई तक जवाब भी देने के लिए कहा है। अदालत ने निर्देश दिया कि आदेश की एक कॉपी आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रमुख खान सचिव व डीजीपी को भी भेजी जाए। इसके अलावा अदालत ने प्रार्थी सोसायटी की ओर से केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय की ओर से मांगी गई नदियों के पुनर्भरण के संबंध में दी गई रिपोर्ट पर भी कोई कार्रवाई नहीं करने पर जिम्मेदार अफसर को आगामी सुनवाई पर तलब किया है। अदालत ने उनसे पूछा है कि उन्होंने प्रार्थी सोसायटी की ओर से दी गई रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की गई।