जयपुर

पेरिस पैरालंपिक में राजस्थान की बेटी अवनि लेखरा ने रचा इतिहास, दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी

पेरिस पैरालंपिक में राजस्थान की पैरा शूटर अवनि लेखरा ने ( Avani Lekhara Wins Gold ) इतिहास रच दिया है। अवनि ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में जीत दर्ज करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया है।

जयपुरAug 30, 2024 / 04:49 pm

Suman Saurabh

Avani Lekhara wins Gold in Paralympics 2024

पेरिस पैरालंपिक में राजस्थान की निशानेबाज अवनि लेखरा ने ( Avani Lekhara Wins Gold ) इतिहास रच दिया है। अवनि ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में जीत दर्ज करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। वहीं इस स्पर्धा में राजस्थान की ही मोना अग्रवाल तीसरे स्थान पर रही। जिन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
अवनि लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक में दो स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनकर इतिहास रच दिया है। टोक्यो पैरालंपिक 2020 में भारत को गोल्ड मैडल दिलाने वाली अवनी ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में 10 मीटर एयर राइफल (SH1) स्पर्धा में शुक्रवार (30 अगस्त) को स्वर्ण पदक पर निशाना साधा। अवनि ने फाइनल में 249.7 अंक बनाए, जो एक पैरालंपिक रिकॉर्ड है। अवनि ने टोक्यो में 249.6 अंकों का पिछला रिकॉर्ड बनाया था।

जानिए कौन हैं अवनि लेखरा (Avani Lekhara)

19 साल की अवनि राजस्थान की राजधानी जयपुर की रहने वाली हैं। उनके पिता का नाम प्रवीण लेखरा और मां का नाम श्वेता लेखरा है। अवनी के पिता प्रवीण लेखरा ने पत्रिका से बातचीत में बताया था कि 2012 में वह धौलपुर में कार्यरत थे। उसी दौरान जब वह जयपुर से धौलपुर जा रहे थे तो सड़क दुर्घटना में पिता-पुत्री दोनों घायल हो गए।
प्रवीण लेखरा तो कुछ समय बाद स्वस्थ हो गए, लेकिन अवनी को तीन महीने अस्पताल में बिताने पड़े फिर भी रीड की हड्डी में चोट के कारण वह खड़े होने और चलने में असमर्थ हो गई। प्रवीण लेखरा ने बताया कि इसके बाद वह बहुत निराशा से भर गई और अपने आप को कमरे बंद कर लिया। माता-पिता के सतत प्रयासों के बाद अवनी में आत्म विश्वास लौटा और अभिनव बिन्द्रा की बायोग्राफी से प्रेरणा लेकर वह निशानबाजी करने लगी।

अवनि लेखरा को लेकर खास बातें

– टोक्यो पैरालंपिक में अवनि लेखरा ने भारत के लिए जीता गोल्ड मैडल।

– जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर में हुआ। अवनि के पिता का नाम प्रवीण लखेरा और माता का नाम श्वेता लखेरा है।
– साल 2012 में सड़क दुर्घटना में पिता के साथ हुई थीं घायल, पिता कुछ समय बाद स्वस्थ हुए, लेकिन अवनि की रीड की हड्डी में चोट के कारण खड़े होने और चलने-फिरने असमर्थ हो गई।
– हादसे के बाद निराशा में बीता जीवन, माता-पिता के प्रयासों से बढ़ा आत्मविश्वास, निशानेबाजी को चुना अपना लक्ष्य – जाने-माने शूटर अभिनव बिंद्रा की बायोग्राफी से मिली प्रेरणा

– घर के नज़दीक स्थित शूटिंग रेंज पर किया निरंतर अभ्यास, कोच चन्दन सिंह की रही अहम भूमिका।
— राजस्थान की गहलोत सरकार ने अवनि को ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की राज्य ब्रांड एम्बेसेडर मनोनीत किया था।

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