पाकिस्तान के धार्मिक मामलों और अंतर्धार्मिक सद्भाव मंत्रालय के एक प्रवक्ता के अनुसार सभी जायरीन को लाहौर पहुंचने के लिए कहा गया है, जहां से वे मंगलवार को भारत की यात्रा पर निकलेंगे। यह अनुमति भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक स्थलों की यात्राओं को लेकर हुई संधि के तहत दी गई है।
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सितंबर 1974 में भारत और पाकिस्तान द्वारा हस्ताक्षरित धार्मिक स्थलों की यात्राओं के प्रोटोकॉल के तहत दोनों देश तीर्थयात्रियों को यात्रा करने की अनुमति देते हैं। हालांकि, यह देखा गया है कि दोनों पक्ष नियमित रूप से विभिन्न आधारों पर तीर्थयात्रियों के वीजा को अस्वीकार करते हैं। बता दें कि पहले पाकिस्तानी जत्थे के उर्स में आने को लेकर असमंसजस बना हुआ था। पिछले 2 साल से कोविड की वजह से उर्स में कोई पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल हिस्सा नहीं ले रहा था।
ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 811 वें उर्स का झंडा 18 जनवरी को असर की नमाज के बाद दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया, इसी के साथ उर्स की शुरुआत हो गई है। इस बार बड़ी संख्या में जायरीनों के आने की उम्मीद है।