जयपुर

पारंपरिक ब्याज आय वाले निवेश उपकरण अब उतने आकर्षक नहीं

पिछले कुछ महीनों से बढ़ती महंगाई हमारे बजट को प्रभावित कर रही है। इसके साथ-साथ सावधि जमा (एफडी), डाकघर बचत और अन्य पारंपरिक ब्याज आय वाले निवेश मुश्किल से महंगाई के आस-पास का ब्याज दे पा रहे हैं। यहीं वजह है कि आज की तारीख में ये निवेश उपकरण अब उतने आकर्षक नहीं रह गए हैं।

जयपुरOct 13, 2022 / 11:48 am

Narendra Singh Solanki

Asset Leasing: एसेट लीजिंग से बढ़ाएं अपनी ब्याज आय

पिछले कुछ महीनों से बढ़ती महंगाई हमारे बजट को प्रभावित कर रही है। इसके साथ-साथ सावधि जमा (एफडी), डाकघर बचत और अन्य पारंपरिक ब्याज आय वाले निवेश मुश्किल से महंगाई के आस-पास का ब्याज दे पा रहे हैं। यहीं वजह है कि आज की तारीख में ये निवेश उपकरण अब उतने आकर्षक नहीं रह गए हैं। हालांकि, इसके बावजूद कई वैकल्पिक उपाय हैं, जो पहले मुख्य रूप से केवल बड़े निवेशकों के लिए उपलब्ध थे, लेकिन अब ये रिटेल निवेशकों के लिए भी उपलब्ध हैं। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण व नया विकल्प हैं ‘एसेट लीजिंग’। एसेट लीजिंग यानी परिसंपत्ति को पट्टे पर देना। एसेट लीजिंग में एलएलपी के माध्यम से एक साथ कई निवेशकों के पैसे जमा करना शामिल है। इस पैसे का उपयोग चल संपत्ति जैसे बाइक या कार्यालय उपकरण आदि खरीदने के लिए किया जाता है और फिर उसे 2 से 3 सालों के लिए किराए के बदले किसी कंपनी को निश्चित लीज पर दिया जाता है और फिर किराये की आय को मासिक आधार पर निवेशकों को कर के बाद 11 से 12 फीसदी के आईआरआर के साथ वितरित कर दिया जाता है। इसके अलावा, इसमें निवेशकों के पास आकर्षक निवेश को चुनने के अतिरिक्त विकल्प भी है और वे प्रत्येक निवेश में 20,000 रुपए जितनी कम राशि के साथ एक विविध पोर्टफोलियो का निर्माण कर सकते हैं। इस प्रकार की व्यवस्था में निवेश करने के कई लाभ हैं:
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सुनुश्चित कैश फ्लो की जानकारी: प्रत्येक सौदे की शर्तें पूर्व निर्धारित होती हैं, जिसमें पूरे लीज अवधि के लिए होने वाले मासिक भुगतान का विवरण पहले से मौजूद होता है। बाजार की अस्थिरता से निवेश मूल्य प्रभावित नहीं होता है। दैनिक बाजार की चाल के साथ, म्युचुअल फंड और स्टॉक में उतार-चढ़ाव होता रहता है, जिससे पूंजी मूल्य प्रभावित होता है। लेकिन, परिसंपत्ति पट्टे पर देने के मामले में ऐसा कुछ नहीं होता है, क्योंकि यह एक निश्चित समझौता है और इसलिए कोई भी बाजार गतिविधि या उतार-चढ़ाव निवेश के मूल्य को प्रभावित नहीं करता है।
नियमित नकदी प्रवाह: नकदी की जरूरत हो या फिर सुरक्षा की दृष्टि से ही इस योजना में मासिक नकदी प्रवाह सुनिश्चित रहता है, जिससे लिक्विडिटी बाधित नही होती है।

निवेश की सुरक्षा: हालांकि यह निवेश फिक्स्ड डिपाजिट (सावधि जमा) की तुलना में जोखिम भरा है, लेकिन परिसंपत्ति का स्वामित्व केवल निवेशक एलएलपी के पास होता है, ऐसे में देरी या डिफॉल्ट के मामले में संपत्ति का कब्जा वापस लेने का सुरक्षित विकल्प मौजूद रहता है।
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टैलविन्ड फाइनेंसियल सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर ऋषभ गोयल का कहना है कि नियमित नकदी प्रवाह और आकर्षक प्रतिफल के साथ एसेट लीजिंग एक दिलचस्प इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है। पट्टा किराए का भुगतान करने में देरी या अक्षमता की संभावना के संदर्भ में निवेशकों को जोखिमों से सावधान रहने की जरूरत है। निवेशकों के पास चुनने के लिए ढेरों विकल्प हैं। मौजूदा माहौल में एसेट लीजिंग सबसे अलग है और निवेशकों को बेहतर निवेश निर्णय लेने के लिए अपनी आवश्यकताओं के हिसाब से इसकी खूबियों और उपयुक्तता को समझना जरूरी है।

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