जयपुर

Jaipur News : टेक्नोलॉजी के दौर में न खुद स्मार्ट न ही मीटर, डूबत खाते में पानी के बिलों के 200 करोड़

जयपुर शहर की पेयजल व्यवस्थाओं का जिम्मा संभाल रहे इंजीनियर आज तक न तो खुद स्मार्ट हुए और न ही स्मार्ट मीटर लगा सके।

जयपुरJun 29, 2024 / 08:38 am

Supriya Rani

जयपुर. जयपुर शहर की पेयजल व्यवस्थाओं का जिम्मा संभाल रहे इंजीनियर आज तक न तो खुद स्मार्ट हुए और न ही स्मार्ट मीटर लगा सके। ऐसे में पानी के उपभोग की शत-प्रतिशत रीडिंग की व्यवस्था बन ही नहीं पाई। इस स्थिति में पानी के उपभोग और बकाया बिलों के पेटे जयपुर शहर में 200 करोड़ रुपए का राजस्व डूबत खाते में हैं। इंजीनियर ही स्वीकार कर रहे हैं कि रीडिंग लेने की हाईटेक व्यवस्था नहीं होने, औसत बिल जारी करने की परिपाटी से डूबत खाता दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है।

शत-प्रतिशत राजस्व वसूलने का विकल्प स्मार्ट मीटर ही

जयपुर शहर में जलदाय विभाग के 5 लाख पंजीकृत उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं के जल उपभोग की रीडिंंग लेने के लिए विभाग के पास महज 50 मीटर रीडर हैं। इसके साथ ही एक निजी फर्म को भी रीडिंग लेने, बिल प्रिंटिंग और वितरण का जिम्मा दे रखा है। फर्म और विभाग दोनों के पास ही उतने मीटर रीडर नहीं हैं कि वे शत-प्रतिशत कनेक्शन की रीडिंग ले सकें। पानी के उपभोग का शत-प्रतिशत राजस्व लेने के लिए स्मार्ट मीटर ही एक मात्र विकल्प है।

कितना भी उपभोग करो, औसत बिल हो रहे जारी

पांच लाख मीटर की रीडिंग के लिए 800 से ज्यादा मीटर रीडर की जरूरत है। अभी शहर में 50 प्रतिशत कनेक्शनों की रीडिंग लेने की व्यवस्था नहीं है और औसत बिल जारी हो रहे हैं। इससे विभाग को राजस्व का जबरदस्त नुकसान हो रहा है। वहीं बकाया बिलों की वसूली को लेकर भी गंभीरता नहीं होने से राजस्व के डूबत का पहाड बढ़ता जा रहा है।

इनका यह कहना है….

शहर में 50 मीटर रीडर ही है। अभी हाल यह है कि चाहे पानी पेयजल में काम आ रहा हो या मकान के निर्माण में, रीडिंग की व्यवस्था ही नहीं हैं। फर्म को काम देने के बजाय शहर में पानी के स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू होना चाहिए।- कुलदीप यादव, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान राज्य वक्र्स कर्मचारी संघ

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