जयपुर

Dev Diwali 2020 देव दिवाली पर ये काम करने से सदा मिलती रहेगी खुशी, हमेशा के लिए दूर हो जाएंगे दुख

कार्तिक मास की पूर्णिमा का पुराणों में बहुत महत्व बताया गया है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा, त्रिपुर पूर्णिमा या देव दिवाली भी कहा जाता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता धरती पर आते हैं और दीप दान कर दिवाली मनाते हैं। त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु व महेश के साथ ही महर्षि अंगिरा और आदित्य आदि ने भी कार्तिक पूर्णिमा को महापुनीत पर्व कहा है।

जयपुरNov 29, 2020 / 10:02 pm

deepak deewan

Importance Of Dev Diwali Tripurari Purnima Kartik Purnima Importance

जयपुर. कार्तिक मास की पूर्णिमा का पुराणों में बहुत महत्व बताया गया है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा, त्रिपुर पूर्णिमा या देव दिवाली भी कहा जाता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता धरती पर आते हैं और दीप दान कर दिवाली मनाते हैं। त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु व महेश के साथ ही महर्षि अंगिरा और आदित्य आदि ने भी कार्तिक पूर्णिमा को महापुनीत पर्व कहा है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि इस पूर्णिमा को ही शाम के समय विष्णुजी का मत्स्यावतार हुआ था। स्कंदपुराण में इसे सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम दिन बताया गया है। इसीलिए देव दिवाली पर पूजा—पाठ व शुभ कर्म जरूर करना चाहिए। इससे कई गुना पुण्य फल प्राप्त होते हैं जोकि अक्षय रहते हैं।
मदन पारिजात के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व पावन जल से स्नान करना अति उत्तम माना गया है। इस दिन दीपदान का बहुत महत्व है। मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा घाट पर आकर दीप जलाते हैं। दीपदान से सभी तरह के कष्ट खत्म होते हैं। इस दिन दान का कई गुना फल मिलता है इसलिए यथासंभव अन्न, वस्त्र आदि दान करें।
कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत रखने का भी बहुत महत्व है। इस दिन उपवास करने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल प्राप्त होता है। कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारम्भ करके हरेक पूर्णिमा को व्रत रखने और रात्रि जागरण से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस दिन शालिग्राम और तुलसी की पूजा बहुत फलदायी होती है। पूर्णिमा पर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने पर अति शुभ फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन इंद्रिय संयम की अहमियत है। किसी की निंदा न करें, विवाद न करें, सुस्वादु भोजन के प्रति ज्यादा रुचि न दिखाएं, दिन में न सोएं। कार्तिकी पूर्णिमा पर रात में भूमि पर शयन करने से सात्विकता के भाव आते हैं, सभी रोग और विकार खत्म होते हैं। इस दिन श्रीसत्यनारायण कथा का श्रवण करने का भी महत्व होता है।

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