टिकट वितरण की गड़बड़ी का यह सबसेे बड़ा उदाहरण है कि प्रदेश में जो निर्दलीय चुनाव जीत कर आए हैं, उन आठ में से सात भाजपा के बागी हैं। बागी होकर चुनाव लड़े चन्द्रभान सिंह आक्या, अशोक कुमार कोठारी, जीवाराम चौधरी, प्रियंका चौधरी, रविन्द्र सिंह भाटी, ऋतु बानावत, युनूस खान अपनी सीट पर जीतने में कामयाब रहे। चन्द्रभान सिंह तो विधायक भी हैं, लेकिन भैरों सिंह शेखावत के दामाद को वहां शिफ्ट कर उनका टिकट काट दिया गया। मुस्लिम को टिकट नहीं देने की नीति के चलते युनूस खान का भी टिकट काट दिया गया। सांसद को टिकट देने की वजह से सांचौर से जीवाराम चौधरी को टिकट नहीं दिया गया।
छह जमानत ही जब्त करवा बैठे
टिकट वितरण में नेताओं के एडजस्टमेंट के चलते छह प्रत्याशियों की जमानत हो गई। शाहपुरा से उपेन यादव, बाड़मेर से दीपक कड़वासरा, चित्तौड़गढ से नरपत सिंह राजवी, शिव से स्वरूप सिंह खारा, सांचौर से सांसद देवजी पटेल, बयाना से बच्चू बंशीवाल भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। ये छह अपनी जमानत ही नहीं बचा सके।
4 सीटों पर खली मजबूत उम्मीदवार की कमी
भाजपा सूत्रों के अनुसार फतेहपुर, खानपुर, किशनपोल, भरतपुर सीटों पर पार्टी यह मान रही है कि यहां और मजबूत उम्मीदवार मिलते तो शायद पार्टी की िस्थति कुछ और होती। 8 सीटों पर बागियों बिगाड़ा खेल
पिलानी, बूंदी, सीकर, झुंझुनूं, नीम का थाना, रामगढ़, संगरिया, बस्सी सीटों पर बागियों ने पार्टी का पूरा खेल ही बिगाड़ दिया। बागियों ने इन सीटों पर या तो निर्दलीय चुनाव लड़ा या फिर दूसरे दल में जाकर चुनाव लड़ा। इन सीटोंप पर भाजपा जितने वाटों से हारी, उसके बराबर या उससे ज्यादा वोट बागी को मिले।
बागियों ने यूं बिगाड़ा खेल पिलानी- यहां भाजपा प्रत्याशी 14845 वोटों से हारे, भाजपा के बागी को 35575 वोट मिले
बूंदी- यहां भाजपा प्रत्याशी 18814 वोटों से हारे, भाजपा के बागी को 39805 वोट मिले
सीकर-यहां भाजपा प्रत्याशी 30038 वोटों से हारे, भाजपा के बागी को 40782 वोट मिले
झुंझुनूं- यहां भाजपा प्रत्याशी 28863 वोटों से हारे, भाजपा के बागी को 42407 वोट मिले रामगढ़- यहां भाजपा प्रत्याशी 19696 वोटों से हारे, भाजपा के बागी को 34882 वोट मिले बस्सी- यहां भाजपा प्रत्याशी 6314 वोटों से हारे, भाजपा के बागी को 9564 वोट मिले
4 सीटों पर भीतरघात से भारी नुकसान पार्टी सूत्रों के अनुसार यूं तो करीब बीस सीटों पर भीतरघात की खबरें आई, लेकिन भीतरघात ने सबसे ज्यादा नुकसान तारानगर, आमेर, आदर्श नगर, चौमूं में किया।
राज्यसभा सीट जीतने के लिए रहना पड़ेगा अन्य पर निर्भर
भाजपा नेताओं का मानना है कि यदि पार्टी की 135 से ज्यादा सीटें आ जाती तो इसका सीधा असर राज्यसभा चुनाव पर पड़ता। सीटें कम आने से राज्यसभा चुनावों में अब पार्टी को कम सीटों पर संतोष करना पड़ेगा। अगले साल प्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। भाजपा दो और कांग्रेस एक सीट आसानी से जीत जाएगी, लेकिन इन पांच सालो में एक साल ऐसा आएगा, जब चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव होगा। इस चुनाव में भाजपा को तीसरी सीट जीतने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ेगी और निर्दलीयों- अन्य दलो के विधायकों की मान मनुहार करनी पड़ेगी।