जयपुर

राजस्थान भी समझे पेड़ों की माया तो छाया से तीन से पांच डिग्री पारा होगा कम, सरकारी एजेंसियां भी ग्रीनरी बढ़ाने में रहीं नाकाम

Rajasthan news : शुक्रवार को पत्रिका टीम ने पार्क से लेकर खुले आसमान के नीचे जाकर तापमान नापा। पेड़ों के नीचे और पार्क के आस-पास राहत की सांस ली और जब खुले आसमान के नीचे पारा नापा तो ऐसा लगा कि मानो आफत बरस रही हो।

जयपुरMay 18, 2024 / 05:46 am

Omprakash Dhaka

जयपुर। भीषण गर्मी देखते हुए लोग जरूरी होने पर ही घरों से निकल रहे हैं। जो लोग बाजार आ रहे हैं, वे पेड़ की छाया में गाड़ी के साथ खड़े नजर आते हैं। क्योंकि पेड़ के नीचे खड़ा होना सुकून देता है। वहां तापमान भी चार से पांच डिग्री तक कम होता है। शुक्रवार को पत्रिका टीम ने पार्क से लेकर खुले आसमान के नीचे जाकर तापमान नापा। पेड़ों के नीचे और पार्क के आस-पास राहत की सांस ली और जब खुले आसमान के नीचे पारा नापा तो ऐसा लगा कि मानो आफत बरस रही हो।

सेंट्रल पार्क में 5.2 डिग्री का अंतर

  • सेंट्रल पार्क में दोपहर 1.20 बजे खुले आसमान के नीचे तापमान नापा तो 43.3 डिग्री दर्ज हुआ। जब पेड़ की छाया में आकर देखा तो तापमान 38.1 डिग्री रह गया।
  • बड़ी चौपड़ पर तापमान 45.9 डिग्री दर्ज किया। कुछ वर्ष पहले तक यहां बरगद के दो पेड़ हुआ करते थे जिनको मेट्रो विस्तार में काट दिया गया था। अब यहां कोई पेड़ नहीं है।
  • जलमहल पर भी पारे में काफी अंतर मिला। पेड़ के नीचे 40.8 और खुले आसमान के नीचे जाकर देखा तो पारा 44.5 डिग्री तक पहुंच गया।
  • स्टेच्यू सर्कल, शास्त्री नगर, वैशाली नगर, मानसरोवर से लेकर मालवीय नगर और झालाना बाइपास पर भी पेड़ के नीचे सामान्य तापमान तीन से पांच डिग्री तक कम मिला।

पौधे जो नहीं बन पा रहे पेड़

  • मानसून के दौरान जेडीए और दोनों नगर निगम मिलकर करीब दो लाख पौधों का वितरण करते हैं। इस पर करीब करोड़ रुपए खर्च होते हैं। पिछले कई वर्षों से यही हो रहा है। कितने पौधे लगे, इसकी जानकारी न जेडीए के पास होती है और न ही निगम के पास।
  • सड़क किनारे लगी झाडिय़ां, फूल वाले पौधों के नाम पर सालाना जेडीए और निगम मिलकर 40 करोड़ तक खर्च कर देते हैं। इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी कोई फायदा नहीं हो रहा।

चंडीगढ़ ने बनाई ग्रीनरी में पहचान

चंडीगढ़ में तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन यहां ग्रीनरी भी बढ़ाई जा रही है। सरकारी संस्थाओं से लेकर लोगों ने इसमें भागीदारी निभाई। इस कारण आधा चंडीगढ़ ग्रीनरी से अटा पड़ा है। भारतीय वन सर्वेक्षण-2021 की रिपोर्ट में ग्रीन एरिया बढ़कर 50.05 फीसदी हो गया। जबकि, वर्ष 2017 में यह आंकड़ा 41.11 था। वहां की कई सड़कें तो ऐसी हैं, जिनके किनारे पेड़ इतने बड़े हो चुके हैं कि गुजरते वक्त जंगल जैसा एहसास होता है।

टॉपिक एक्सपर्ट…

शहर तेजी से बढ़ रहा है। इससे पुराने पेड़ काटे जा रहे हैं, इसकी तुलना में पौधे कम लगाए जा रहे हैं। इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। न सिर्फ गर्मी बढ़ रही है, बल्कि ध्वनि और वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है। लोगों को भी विशेष अवसरों पर पौधे लगाने चाहिए और इनकी देखभाल करनी चाहिए। पिलखन, गूलर, नीम, इमली, करंज, जामुन, लसोड़ा, छलील, शीशम जैसे पेड़ जब बड़े होंगे तो पक्षियों से लेकर गिलहरी और कीड़े रहना शुरू कर देते हैं। ऐसे में इनके अस्तित्व पर भी संकट नहीं आएगा।
– महेश तिवाड़ी, सेवानिवृत्त, उप-वन संरक्षक
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