लॉकर में चांदी की सिल्ली व आभूषण
एसीबी ने सोमवार को राजेन्द्र विजय के लॉकर को खोला, जिसमें एक किलो चांदी की सिल्ली व अन्य आभूषण मिले हैं। लॉकर में सिल्ली के अलावा चांदी के सिक्के व आभूषण तथा सोने के आभूषण भी मिले हैं।
पड़ताल में यह सामने आई सम्पत्ति
- रामनगरिया में 585 वर्गमीटर भूखंड राजेंद्र विजय के नाम वर्ष 2022 में 70 लाख में खरीदा।
- जगतपुरा रोड सिद्धार्थ नगर में 351 वर्गमीटर भूखंड पत्नी साधना के नाम वर्ष 2010 में 15 लाख में खरीदा, बाद में यहां पांच लाख रुपए निर्माण व पट्टे में खर्च किए।
- टोंक रोड पर अवासीय मकान पत्नी साधना के नाम वर्ष 1993 में खरीदा। उस समय जमीन और मकान में खर्च का अनुमान 26 लाख 77 हजार रुपए।
- फागी के हरसूलिया रीको में पत्नी साधना के नाम भूखंड (2200 वर्ग मीटर) वर्ष 2021 में खरीदा। जमीन व निर्माण में खर्च का अनुमान 67 लाख 23 हजार।
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- सिद्धार्थ नगर में पत्नी साधना के नाम प्लॉट (167 वर्ग मीटर) वर्ष 2021 में खरीदा। खर्च करीब 34 लाख रुपए। पढे़ं पड़ताल।
- किशनगढ़ खोड़ा रीको में पत्नी साधना के नाम भूखंड (1500 वर्गमीटर) वर्ष 2021 में 45 लाख रुपए में खरीदा।
- खोड़ा रीको में पत्नी साधना के नाम भूखंड (1500 वर्गमीटर) वर्ष 2022 में खर्च करीब 55 लाख 50 हजार में खरीदा।
- टोंक रोड स्थित कमानी फॉर्म हाउस के सामने भूखंड (291 वर्ग मीटर) पत्नी साधना के नाम। यह प्लाट वर्ष 2022 में सास शान्ति देवी की ओर से गिफ्ट डीड से मिला। एसीबी को आशंका है कि वर्ष 2009 में शान्ति देवी के नाम यह भूखंड राजेंद्र विजय ने ही खरीदा था। इसमें खर्च का अनुमान 33 लाख रुपए।
- कमानी हाउस के सामने दूसरा भूखंड 240 वर्ग मीटर इसी तरह गिफ्ट डीड से मिला। इस पर खर्च का अनुमान 27 लाख 75 हजार रुपए।
- सी-स्कीम में अशोक मार्ग पर शोरूम वर्ष 2022 में करीब पांच करोड़ रुपए में पत्नी के नाम खरीदा।
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आरएएस के समय से थे रडार पर, सबूत जुटाने में लगे वर्षों
राजेन्द्र विजय एसीबी के रडार पर आरएएस के समय से ही थी। सूत्रों के अनुसार एसीबी इंटेलीजेंस ने उनके बारे में पांच साल पहले ही सूचना दे दी थी। इसके बाद उससे जु़ड़े साक्क्ष्य जुटाए जा रहे थे। आइएएस में पदोन्नत होने के बाद भी उन्होंने कई सम्पत्ति बनाई। इससे मामला बढ़ता गया और आखिरकार एसीबी ने अब कार्रवाई को अंजाम दिया।
राजदार चालक से एसीबी ने की पूछताछ
एसीबी आइएएस राजेन्द्र विजय के चालक चतर से भी पूछताछ की। आशंका है कि अधिकारी की ‘ऊपरी’ आय व निवेश की चालक को पूरी जानकारी है। कभी अधिकारी के यहां चालक रहा चतर अब ठेकेदारी करता है।