दरअसल, आरती मूल रूप से देहरादून से हैं लेकिन उन्होंने राजस्थान में परचम बुलंद किया हुआ है। बीकानेर कलेक्टर रहते हुए अप्रैल, 2013 में उन्होंने खुले में शौच से मुक्ति का अभियान ‘बंको बीकाणो’ की शुरुआत की थी, जिसकी काफी सराहना हुई। उनके इस अभियान को पंजाब, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों में भी सराहा गया। अभियान के तहत गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को खुले में शौच न करने के लिए प्रेरित किया गया। इस अभियान के तहत 196 ग्राम पंचायतों का सत्यापन किया गया।
‘बंको बीकाणो’ अभियान के दौरान बीकानेर देश का पहला ऐसा जिला बना, जहां पक्के शौचालयों की मॉनिटरिंग ‘आउट कम ट्रैकर सॉफ्टवेयर’ के माध्यम से मोबाइल द्वारा की जाने लगी। डोगरा दूसरे प्रांतों के अफसरों को भी इस अभियान का प्रजेंटेशन दे चुकी हैं। देश के 18 राज्यों के प्रतिनिधिमंडल ने अभियान का अध्ययन किया। ब्रिटेन, थाइलैंड, यूएसए, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल आदि देशों के प्रतिनिधियों ने बीकानेर आकर अभियान की जानकारी ली। इसी तरह से डोगरा का ‘मिशन अगेंस्ट एनीमिया’ और ‘डॉक्टर्स फॉर डॉटर्स’ अभियान को भी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली।
युवाओं के लिए बन गई ‘आदर्श’
‘बंको बीकाणो’ अभियान के दौरान बीकानेर देश का पहला ऐसा जिला बना, जहां पक्के शौचालयों की मॉनिटरिंग ‘आउट कम ट्रैकर सॉफ्टवेयर’ के माध्यम से मोबाइल द्वारा की जाने लगी। डोगरा दूसरे प्रांतों के अफसरों को भी इस अभियान का प्रजेंटेशन दे चुकी हैं। देश के 18 राज्यों के प्रतिनिधिमंडल ने अभियान का अध्ययन किया। ब्रिटेन, थाइलैंड, यूएसए, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल आदि देशों के प्रतिनिधियों ने बीकानेर आकर अभियान की जानकारी ली। इसी तरह से डोगरा का ‘मिशन अगेंस्ट एनीमिया’ और ‘डॉक्टर्स फॉर डॉटर्स’ अभियान को भी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली।
युवाओं के लिए बन गई ‘आदर्श’
आईएएस अफसर आरती डोगरा का कद भले ही छोटा है, पर हौंसले बुलंद हैं। यही वजह है कि वे युवाओं के लिए आदर्श बनी हुई हैं। छोटे कद की वजह से उन्होंने गिव-अप करने के बजाए अपने आप को प्रूव करने की ठानी। इसका ही नतीजा रहा कि वे आईएएस अफसर बनी।
आरती डोगरा बताती हैं कि सिविल सर्विसेज में जाने का निर्णय उनका खुद का था। पेरेंट्स ने हिम्मत बंधाते हुए ईमानदारी से अपना 100 प्रतिशत देने का हौसला जगाया और मैंने अपना लक्ष्य हासिल किया।
आरती डोगरा बताती हैं कि सिविल सर्विसेज में जाने का निर्णय उनका खुद का था। पेरेंट्स ने हिम्मत बंधाते हुए ईमानदारी से अपना 100 प्रतिशत देने का हौसला जगाया और मैंने अपना लक्ष्य हासिल किया।