राजभवन में गुरूवार को इस मामले पर हाई वोल्टेज घटनाक्रम चला। चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर राजभवन पहुंचने वाले थे और डॉ. भंडारी ने भी राज्यपाल से मिलने का समय मांग रखा था। चिकित्सा मंत्री खींवसर, अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रासिंह, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल राजभवन पहुंचते उससे पहले ही डॉ. भंडारी ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया। बताया जा रहा है कि सरकार ने भी डॉ. भंडारी को हटाने की तैयारी कर ली थी। डॉ. भंडारी को स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (सोटो) के चेयरमैन पद से पहले ही हटाया जा चुका है। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने गुरुवार को प्रकाशित खबर में डॉ. सुधीर भंडारी के इस्तीफा देने की बात लिखी थी, जिस पर मुहर लग गई है।
करोड़ों रुपए के स्कैम की आशंका: चिकित्सा मंत्री
चिकित्सा मंत्री खींवसर ने कहा कि पेपरलीक मामले की तरह मुख्यमंत्री ने मुझे सात दिन दिए थे कि इस मामले का निपटारा करना है। उनके राजभवन पहुंचने से पहले ही डॉ. भंडारी इस्तीफा राज्यपाल को सौंप चुके थे। हालांकि उन्होंने भी राज्यपाल को इस मामले से जुड़े तथ्य और उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। उनका आरोप है कि इस मामले में करोड़ों रुपए के स्कैम की आंशका है। इसलिए इसकी कड़ी से कड़ी मिलाकर जांच करेंगे। पता करेंगे कि गौरव सिंह के तार कहां तक जुड़़े हुए थे। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से स्पेशल टीम गठित कर इस मामले की पेपरलीक मामले की तरह जांच करवाने की मांग करने की बात कही है।
वर्ष 2020 से चल रहा था अभियानचिकित्सा मंत्री ने कहा कि अब तक जांच चल रही है, कानूनी कार्रवाई भी होगी। हमारे पास समय है, गहराई तक जाएंगे। चिकित्सा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2020 से 22 तक एनओसी जारी होने का कोई रेकॉर्ड सरकार के पास नही है। आरोप लगाते हुए कहा कि कमेटियों को मर्ज किया गया और पूरा सिस्टम सेंट्रलाइज्ड किया गया था। साफ है कि यह अभियान वर्ष 2020 से ही चल रहा था। यही मालूम किया जा रहा है कि आखिर किन-किन लोगों का हाथ था, फाइल जो चली है वह बाबू से सीएम तक चली। डॉ.भंडारी को गत सरकार ने लगातार प्रमोशन दिए हैं। यह भी सुनने में आया कि भंडारी का विभाग में खौफ था। राज्य सरकार उनके कार्यकाल की भी जांच करवा सकती है। उन्होंने कहा कि सोमवार तक चिकित्सा विभाग के कमिश्नर इकबाल खान रिपोर्ट बनाकर देंगे जिसके बाद स्थिति और साफ हो जाएगी। मंत्री ने पूर्व अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा और पूर्व प्राचार्य डॉ. राजीव बगरहट्टा को हेल्प लेस बताया है।
डॉ अमरजीत मेहता ने भी दिया इस्तीफा
आरयूएचएस के पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी विभाग के आचार्य डॉ अमरजीत मेहता ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसकी वजह उन्होंने स्वास्थ्य कारण बताया है। बताया जा रहा है डॉ मेहता प्रो वीसी भी पद पर भी कार्यरत थे। उन्होंने इस पद से भी इस्तीफा दे दिया है।