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डीएसपी कीर्तिसिंह ने बताया कि 8 मई को मांडलगढ़ में कमल फिनकैप प्राइवेट लिमिटेड के फाइनेंस कम्पनी के ब्रांच मैनेजर नूरपुरा, रामगंज मंडी (कोटा) निवासी विक्रमसिंह राठौड़ ने मामला दर्ज कराया था। परिवादी ने बताया कि यह कम्पनी समूह में लोन देती है। 7 मई को कम्पनी के कर्मचारी लोन की किस्तें एकत्र कर कार्यालय पहुंचे। रात में हिसाब चल रहा था। तभी बाइक पर आए नकाबपोश दो युवक कार्यालय में घुसे वहां मौजूद पांच कर्मियों को चाकू से धमकाया। बैग में रखे 5 लाख 90 हजार रुपए छीनकर भाग गए। थानाप्रभारी मनोज जाट की अगुवाई में टीम ने अनुसंधान के बाद लूट के आरोप में परिवादी ब्रांच मैनेजर विक्रमसिंह, उसका भाई सुरेन्द्रसिंह तथा रिश्तेदार सुल्तानपुरा (कोटा ग्रामीण) निवासी जितेन्द्रसिंह राजपूत को गिरफ्तार किया। आरोपी सुरेन्द्र व जितेन्द्र को बापर्दा रखा है।
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लुटेरे दो थे, कर्मचारी पांच: यहीं से घूमी शक की सुई
वारदात के समय ऑफिस में पांच कर्मचारी थे। लुटेरे दो ही थे। इसके बाद लुटेरों से मुकाबला नहीं किया। इसी से पुलिस अफसरों की शक की सुई घर में घूमी। पुलिस ने अनुसंधान का जाल बिछाया तो साफ हुआ कि वारदात का साजिशकर्ता दफ्तर में ही हो सकता है। पुलिस ने सभी कर्मचारियों से अलग-अलग पूछताछ की। वैज्ञानिक तरीका अपनाया। पुलिस ने सबूत के आधार पर मैनेजर विक्रम से पूछताछ की तो उसने वारदात कबूल ली। उसके बाद उसके दोनों रिश्तेदारों को धरदबोचा। पुलिस से बचने और भ्रमित करने के लिए विक्रम ने ही रिपोर्ट दर्ज कराई ताकि शक की सुई उस पर नहीं घूमे।
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रिश्तेदारों को बुलाया, रात का समय चुना
विक्रम ने भाई और रिश्तेदार को एक दिन पहले मांडलगढ़ बुला लिया था। उसे ऑफिस की सारी बारीकियां समझाई। दिनभर की कलेक्शन राशि की जानकारी दी। इसके लिए विक्रम ने लूट का डेमो तक रिश्तेदारों से कराया। उनको भागने का रूटचार्ट तय किया। साजिश के तहत रिश्तेदार नकदी लूट कर हाइवे से कोटा की ओर नहीं गए। वैकल्पिक मार्गों से छिपते हुए गांव पहुंच गए। वहां लूटी रकम बांट ली। पुलिस ने इनसे मिर्च पाउडर भी बरामद किया। पूछताछ में आरोपी विक्रम ने बताया कि उस पर तथा परिवार पर कर्जा था। इसे चुकाने को लूट की।