बैठक में हुआ मंथन हाईकोर्ट के आदेश में नेवटा और गुलर बांध के डूब क्षेत्र में हो रहे निर्माण की स्थिति बताई गई है। जल संसाधन विभाग ने भी सर्वे कराया, जिसमें दोनों ही जगह निर्माण होने का दावा किया गया। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने जेडीए को पाबंद भी किया है कि यदि ऐसा हो रहा है तो तत्काल उसे रोके। जेडीए से शपथ पत्र भी मांगा गया है। रामगढ़ बांध सुओ मोटो मामले में संबंधित कमेटी की बैठक हुई। इसमें जेडीए, जिला प्रशासन, जल संसाधन विभाग, पंचायती राज विभाग, वन विभाग के अफसरों ने हाईकोर्ट के आदेश की पालना को लेकर मंथन हुआ। इसमें नेवटा बांध से जुड़ा मामला भी शामिल है।
यह है मामला इन स्थितियों के बीच जेडीए और जल संसाधन विभाग के अपने-अपने दावे सामने आ रहे हैं। जल संसाधन विभाग का कहना है कि बांध के डूब क्षेत्र में सृजित योजनाओं के खसरे की जानकारी जेडीए को दी जा चुकी है। हाईकोर्ट में हुई पिछली सुनवाई में जेडीए ने इन तीन योजनाओं का नाम बताया लेकिन अब भी मानने को तैयार नहीं है। न ही मौका मुआयना किया गया। जेडीए शपथ पत्र देगा तो हम हमारे रिकॉर्ड के आधार पर वास्तविक स्थिति रखेंगे। वहीं, जयपुर विकास प्राधिकरण का दावा है कि रामगढ़ बांध के केस के साथ जब नेवटा बांध का मामला भी जुड़ा, उससे पहले इन तीनों योजनाओं का नियमन हो चुका था। ऐसे में यह डूब क्षेत्र में कैसे मानी जा सकती है।
पहले भी सामने आ चुकी है करतूत -जेडीए ने पिछले साल बांध के डूब क्षेत्र में ही एक कॉलोनाइजर की जमीन की 90ए (भूउपयोग परिवर्तन) कर दिया था। -हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह मामला सामने आया तो जेडीए को बैकफुट पर आना पड़ा।
-जेडीए को जमीन का भूउपयोग परिवर्तन निरस्त करना पड़ा।