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जयपुर

पूर्व आईएएस एससी असवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा हाईकोर्ट ने किया रद्द

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (Ex IAS)पूर्व आईएएस लालचंद असवाल के खिलाफ (courruption) भ्रष्टाचार के आरोप में लिए गए एसीबी कोर्ट के(Cogniznace) प्रसंज्ञान आदेश और (proceedings) कार्रवाई को (Quash) रद्द कर दिया है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश लालचंद असवाल की आपराधिक विविध याचिका को (Allow)मंजूर करते हुए दिए।

जयपुरFeb 07, 2020 / 03:20 pm

Mukesh Sharma

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जयपुर

(Rajasthan Highcourt) हाईकोर्ट ने (Ex IAS)पूर्व आईएएस लालचंद असवाल के खिलाफ (courruption) भ्रष्टाचार के आरोप में लिए गए एसीबी कोर्ट के(Cogniznace) प्रसंज्ञान आदेश और (proceedings) कार्रवाई को (Quash) रद्द कर दिया है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश लालचंद असवाल की आपराधिक विविध याचिका को (Allow) मंजूर करते हुए दिए। कोर्ट ने 31 जनवरी को फैसला सुरक्षित किया था और शुक्रवार को फैसला सुनाया है।

एडवोकेट एस.एस.होरा की कोर्ट में दलील थी कि असवाल से ना तो कोई रिकवरी हुई थी और ना ही डिमांड के कोई सबूत हैं। जिस एक्सईएन पुरुषोत्तम जेसवानी को फाइलों और 15 लाख रुपयों के साथ गिरफ्तार किया था उसने पहले तो राशि स्वयं की बताई थी और एसीबी चौकी ले जाए जाने के बाद राशि असवाल को देने के लिए बताई थी। इससे साफ है कि उसके बयानों में एकरुपता नहीं है। जेसवानी से बरामद ४६ फाईलें जिन ठेकेदारों की बताई गईं उन्हें एसीबी ने ना तो गवाह बनाया और ना ही आरोपी। जबकि एसीबी के अनुसार जेसवानी से बरामद 15 लाख रुपए उन्हीं ठेकेदारों से लिए गए थे जिनकी फाइलें जेसवानी असवाल से क्लीयर करवाने लिए ले जा रहा था। एेसे में इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि असवाल को देने के लिए जेसवानी ने ठेकेदारों से राशि वसूली थी या नहीं ? एसीबी यह साबित नहीं कर पाई कि आखिर जेसवानी से बरामद 15 लाख रुपए आए कहां से थे। इसलिए ही एसीबी की ओर से दायर पहली चार्जशीट में असवाल का नाम नहीं था। सप्लीमेंट्री चार्जशीट में भी उन्हें पीसी एक्ट की धारा-15 के तहत कुछ लाभ प्राप्त करने की संभावना का आरोपी बनाया था। राज्य सरकार की ओर से एएजी व राजकीय अधिवक्ता राजेन्द्र यादव का कहना था कि असवाल नगर निगम के सीईओ थे और इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि जेसवानी से बरामद राशि उन्हीें के लिए वसूली गई थी।

यह था मामला-

10 अगस्त,2014 को एसीबी ने जयपुर नगर निगम के एक्सईएन पुरुषोत्तम जेसवानी को निगम के तत्कालीन सीईओ लालचंद असवाल के घर के बाहर से कार में 15 लाख रुपए और निगम के ठेकेदारों के काम से संबंधित 46 फाईलों के साथ गिरफ्तार किया था। 11 अगस्त,2014 को एसीबी ने जेसवानी और असवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। लंबे अनुसंधान के बाद एसीबी ने असवाल को रिटायरमेंट से तीन दिन पहले 26 सितंबर,2014 को गिरफ्तार किया था। असवाल 30 सितंबर,2014 को रिटायर होने वाले थे।

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