कोर्ट ने बहुमंजिला इमारतों से लोगों के पानी-बिजली एवं सूरज की रोशनी पर आए संकट और जयपुर स्थित गांधीनगर में न्यायाधीशों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता व्यक्त की।
कोर्ट ने मास्टर प्लान को लेकर राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की याचिका पर दिए आदेश की पालना किए बिना बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को मंजूरी देने पर भी नाराजगी जताई। दरअसल मास्टर प्लान को लेकर कोर्ट के दिए आदेश की पालना में राज्य सरकार को बहुमंजिला इमारतों के लिए निकाय स्तर पर जोन तय करने हैं। इसके उलट राज्य सरकार ने बिना जोन तय किए प्रदेश में करीब 350 बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी दे दी।
कोर्ट ने मास्टर प्लान को लेकर राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की याचिका पर दिए आदेश की पालना किए बिना बहुमंजिला इमारतों के निर्माण को मंजूरी देने पर भी नाराजगी जताई। दरअसल मास्टर प्लान को लेकर कोर्ट के दिए आदेश की पालना में राज्य सरकार को बहुमंजिला इमारतों के लिए निकाय स्तर पर जोन तय करने हैं। इसके उलट राज्य सरकार ने बिना जोन तय किए प्रदेश में करीब 350 बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी दे दी।
हाईकोर्ट ने एम.सी. मेहता व अन्य के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर माना कि बिना जोन तय किए कंक्रीट के जंगल खड़े करने की मंजूरी देने से हरियाली और राष्ट्रीय पक्षी मोर के संरक्षण पर खतरा पैदा हो रहा है। कोर्ट ने जयपुर के गांधीनगर में निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारतों से न्यायाधीशों की सुरक्षा और निजता को पैदा हो रहे खतरे पर भी चिंता जताई। साथ ही हाईकोर्ट प्रशासन को सुरक्षा के संबंध में रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
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हाईकोर्ट मास्टर प्लान के मामले दे चुका यह आदेशहाईकोर्ट ने 2017 में जयपुर सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों के मास्टर प्लान से संबंधित राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की जनहित याचिका पर बहुमंजिला इमारतों के लिए जोनल प्लान बनाने का आदेश दिया था।
आदेश में कहा था…
सूरज की रोशनी: आवासीय क्षेत्र में बिना प्लान मल्टीस्टाेरी को मंजूरी दिए जाने से आसपास के मकानों को सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी। मूलभूत सुविधाएं: जब मास्टर प्लान और जोनल प्लान के अंतर्गत कॉलोनी विशेष का प्लान मंजूर होता है, तो कॉलानी में खुले स्थान, पार्क, रोड, आवास, पानी की सप्लाई, सीवरेज आदि का प्लान होता है। यह प्लान वहां रहने वालों की आवश्यकता के हिसाब से बनता है। मल्टीस्टोरी बनने पर आवास बढ़ जाते हैं, जिसका सुविधाओं और लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर असर होता है।
सूरज की रोशनी: आवासीय क्षेत्र में बिना प्लान मल्टीस्टाेरी को मंजूरी दिए जाने से आसपास के मकानों को सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी। मूलभूत सुविधाएं: जब मास्टर प्लान और जोनल प्लान के अंतर्गत कॉलोनी विशेष का प्लान मंजूर होता है, तो कॉलानी में खुले स्थान, पार्क, रोड, आवास, पानी की सप्लाई, सीवरेज आदि का प्लान होता है। यह प्लान वहां रहने वालों की आवश्यकता के हिसाब से बनता है। मल्टीस्टोरी बनने पर आवास बढ़ जाते हैं, जिसका सुविधाओं और लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर असर होता है।
मल्टीस्टोरी भी जरूरी: जनसंख्या वृद्धि व शहरों में पलायन कर लोगों के आने से शहरों में मल्टीस्टोरी की जरूरत है, लेकिन वह नियोजित तरीके से बननी चाहिए। न ठगे जाएं भूखंडधारी: आवासीय कॉलोनी में भूखंड खरीदने वाले जीवनभर की पूंजी लगाकर रहने आते हैं, वहां सुविधाएं उनकी आवश्यकता के अनुरूप विकसित होती हैं। ऐसे में मल्टीस्टोरी बनने से ये लोग वहां ठगा सा महसूस करते हैँ।
जीवन की गुणवत्ता: पहले से विकसित आवासीय क्षेत्र में मल्टीस्टोरी की मंजूरी नहीं दी जाए, ताकि हरियाली, सुविधा क्षेत्र आदि के अभाव में लोगों के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित न हो। इसलिए जोनल प्लान के अनुसार खेल मैदान, उद्यान और बाग-बगीचे संरक्षित रखे जाएं।
बीते 5 साल में मिली मल्टीस्टोरी की मंजूरी जयपुर: 169
अलवर: 49
कोटा: 39
उदयपुर: 31
जोधपुर: 22
अजमेर: 21
भीलवाड़ा: 14
सीकर: 10
बीकानेर: 09
अलवर: 49
कोटा: 39
उदयपुर: 31
जोधपुर: 22
अजमेर: 21
भीलवाड़ा: 14
सीकर: 10
बीकानेर: 09