जानकारी के अनुसार, हर साल की तरह इस साल भी बारिश से पहले शहर में आपदा राहत के लिए जयपुर नगर निगम हेरिटेज की ओर से बाढ़ नियंत्रण कक्षों में आवश्यक व्यवस्था करने के लिए निविदा जारी की गई। इस प्रक्रिया में निगम के अधिकारियों ने ऐसी शर्त रख दी कि उसका विरोध शुरू हो गया। करीब 72.35 लाख रुपए की लागत वाले इस टेंडर की आवेदन प्रक्रिया सोमवार को समाप्त होने वाली है। इस बीच हैरिटेज सिटी कॉन्ट्रक्टर्स सोसायटी ही विरोध में उतर आई। इसे लेकर सोसायटी पदाधिकारियों ने निगम अफसरों के सामने विरोध दर्ज कराया है। इसे लेकर ज्ञापन भी दिया गया।
विरोध के बाद शर्त हटाने के लिए चलाई नोटशीट
संवेदकों के विरोध में उतरने के बाद निगम प्रशासन ने निविदा के बिड डाक्यूमेंट में एनेक्चर ए के बिन्दू संख्या 4 पर दर्ज शर्त को हटाने के लिए नोटशीट चला दी है। इसके लिए स्वीकृति निगम आयुक्त से मांगी गई है। हालांकि यह फाइल अतिरिक्त आयुक्त ने आयुक्त के पास भेज दी है। वहीं टेंडर की समय सोमवार तक बढ़ा दिया गया है,लेकिन शर्त हटाने पर अभी निर्णय नहीं हो पाया है।
इस शर्त को लेकर विरोध
निविदा के बिड डाक्यूमेंट में एनेक्चर ए के बिन्दू संख्या 4 पर दर्ज शर्त ‘संवेदक को राशि 50 लाख से अधिक समान प्रकृति का कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र कम से कम किन्हीं दो कार्य काल का लगाना आवश्यक होगा।
1.50 करोड़ के टेंडर पर ही लगा सकते हैं विशेष शर्त
सोसायटी के महामंत्री तरुण कुमार शर्मा का कहना है कि बाढ़ नियंत्रण कक्ष मे संसाधन उपलब्ध कराने के टेंडर में ऐसी शर्त रख दी, जिससे अन्य संवेदक शामिल नहीं हो सकता। टेंडर में अधिक संवेदक शामिल होने से कम दर पर निविदा जारी होती है। एक ही संवेदक आने से अधिक दर पर टेंडर होंगे, जिससे निगम कोष को नुकसान होगा। शर्मा का कहना है कि 1.50 करोड़ से अधिक के टेंडर पर ही विशेष शर्त लगाई जा सकती है।
पिछले वर्षों में अधिक संवदेक आने से कम दर आई
जानकारों की मानें तो किसी भी काम के लिए अधिक संवेदक शामिल होते है तो कम दर पर टेंडर होते है। इससे निगम कोष को फायदा होता है। बाढ़ राहत में संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पिछले साल 28 प्रतिशत कम दर पर टेंडर हुआ, वहीं वर्ष 2021 में 14 प्रतिशत कम दर पर टेंडर हुआ। इस साल निगम ने अनुमानित लागत 73.82 लाख मानी थी, लेकिन टेंडर करीब 62 लाख रुपए में ही हो गया।
उच्च अधिकारी से स्वीकृति लेना जरूरी
नगर निगम जयपुर के सेवानिवृत्त आयुक्त ओ.पी. गुप्ता का कहना है कि अगर एकल निविदा आए तो उसकी सक्षम अधिकारी से उच्च अधिकारी से स्वीकृति लेना जरूरी है। एकल निविदा आने पर उसकी पूर्व की निविदाओं से तुलना करना जरूरी है, इसके साथ ही अन्य विभागों की निविदाओं से भी तुलना करना जरूरी हैं। एकल निविदा से निगम राजस्व को नुकसान होने की संभावना होती है।
निगम हित में शर्त— एक्सईएन
हैरिटेज निगम मुख्यालय एक्सईएन शेर सिंह का कहना है निश्चित अवधि में गुणवत्तापूर्ण काम कराने के लिए शर्त रखी गई हैं। यह निगम हित में भी है। ऐसी शर्तें पहले भी रही होगी। सक्षम लोग निविदा में आए, इसलिए कुछ ना कुछ बदलाव हर बार होता रहता है।