शहर की सफाई को पुख्ता करने के लिए बनाया गया सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट खुद
जयपुर•Nov 19, 2015 / 12:30 pm•
पाली. शहर की सफाई को पुख्ता करने के लिए बनाया गया सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट खुद ही धीरे-धीरे साफ हो रहा है। सात साल में इस प्लांट के उपकरण तो जंग खा ही गए हैं, साथ ही चोरों की पसंदीदा जगह भी बन गया है। दो मोटर के साथ कई उपकरण भी चोर पार कर चुके हैं। हालांकि सुरक्षा के लिए एक चौकीदार रखा गया है, लेकिन चोरों के आतंक से वह खुद भी भयभीत है।
शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर खेतावास में सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को बने सात साल से अधिक हो गए हैं। इन सात सालों से इस प्लांट पर आवास-विकास लिमिटेड का अधिकार है। एवीएल ने इस प्लांट को संचालित करने के लिए एक निजी फर्म को ठेका दिया लेकिन, मात्र एक बार डेमो होने के बाद से ये यह प्लांट बंद है। डेढ़ करोड़ से अधिक की लागत से बना यह प्लांट अब चोरों की पसंदीदा जगह बनता जा रहा है। प्लांट में लगी दो मोटर पहले ही चोर पार कर चुके हैं। साथ ही कई उपकरण और इलेक्ट्रोलिक कांटे को भी चोरों ने निशाना बनाया है।
यह है हालात डेढ़ करोड़ से अधिक राशि का बना यह प्लांट अब जर्जर हो चला है। मशीन के हर हिस्से में जंग लग चुकी है। प्लांट को चलाने के लिए रखा गया पॉवर जनरेटर भी धूल फांक रहा है। इसी प्रकार कचरे से भरे डम्पर के वजन के लिए लगाया गया इलेक्ट्रोनिक कांटा भी अंतिम सांसें ले रहा है।
इसलिए है दुर्दशा ए वीएल ने सात साल पहले जिस उद्देश्य से इस प्लांट का ठेका दिया था वह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है। शहर में छोटे-बड़े चार डम्पिंग स्टेशन से सॉलिड वेस्ट एकत्रित होकर यहां पहुंचना था, इसके बाद यहां पर रिसाइकिल योग्य कचरे को अलग कर अन्य कचरे को डम्प करने की प्लानिंग थी। इसके लिए आधुनिक मशीन भी लगाई गई लेकिन, ठेका फर्म प्लांट को शुरू किए बिना ही काम छोड़ कर भाग गई।
अब आएगा नगर परिषद के पास यह प्लांट अब तक एवीएल जोधपुर के अधीन है लेकिन, अब यह प्लांट जल्द ही नगर परिषद के अधीन आने वाला है। परिषद ने इसके लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट एवीएल को भेजी गई है। इसमें जिस स्थिति में यह प्लांट है, उसमें सौंपने की बात कही गई है। जिस भी कंपनी को अब संचालन का ठेका दिया जाएगा, उसे नई दरों से टेण्डर भरना होगा।
जल्द शुरू करेंगे सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को जल्द ही शुरू करेंगे। उपकरण चोरी हो गए हैं तो जो नई फर्म ठेका लेगी उसको उसकी लागत भी साथ में जोडऩी पड़ेगी। डीपीआर बनाकर एवीएल को भिजवाने की प्रक्रिया की जा रही है। जनार्दन शर्मा, आयुक्त, नगर परिषद, पाली।