जयपुर

सिंजारा: सजना है मुझे सजना के लिए…

teej 2021 सिंजारे और तीज का त्यौहारियां शुरू
 

जयपुरAug 09, 2021 / 02:49 pm

Ankita Sharma

सिंजारा: सजना है मुझे सजना के लिए…

जयपुर .
सावन अपने साथ ढेर सारी खुशहाली लाता है। चारों ओर हरियाली, पक्षियों की चहचहाहट, झरने, लोगों के मन को आनंद से भर देता है। वैसे तो सावन सभी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन सावन और इसमें आने वाले त्योहारों का महिलाओं के जीवन में खास महत्व हैै। कल सिंजारा है, जो महिलाओं का खास त्योहार है। यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। गौरतलब है कि सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कज्जली तीज या हरियाली तीज मनाई जाती है। इससे एक दिन पहले आता है सिंजारा यानी श्रृंगार का दिन। इस दिन बहू—बेटियों को 9-9 प्रकार के मिष्ठान व पकवान बनाकर खिलाए जाते हैं। सिंजारे के दिन किशोरी एवं नव विवाहिताएं मेहंदी जरूर लगाती हैं। यह दिन एक प्रकार से तीज की तैयारियों का दिन है, उसे खास बनाने का दिन है। सिंजारे के दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान और मिठाइयां उनके ससुराल भेजी जाती हैं।
सिंजारे की तैयारियां शुरू

शहरभर में आज दोपहर से ही तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। महिलाएं और युवतियां पर्लर जा रही हैं। कई पर्लर्स में इस दिन के लिए विशेष पैकेज लॉन्च किए गए है। वहीं मेहंदी लगाने वालों के पास भी महिलाओं की भीड़ साफ नजर आ रही है। पिछले साल सिंजारे और तीज पर प्रदेश में कोरोना के प्रभाव ज्यादा होने के कारण महिलाएं यह त्योहार ठीक से नहीं मना पाई थीं। अब कोरोना का असर कम है तो यह त्योहार पूरे धूम—धाम से मनाए जाने की तैयारियां है।

इसलिए मनाया जाता है

माना जाता है कि हरियाली तीज के दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया। इतना ही नहीं मां पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने आशीर्वाद दिया कि जो भी कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी उसके विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।
हरियाली तीज पूजा विधि

वैसे तो पूरे सावन में ही मां पार्वती और शिव की विशेष पूजा की जाती है, लेकिन सिंजारे और तीज पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन कुंवारी कन्याएं और विवाहिताएं सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव की पूजा करती हैं। शाम को व्रत की कथा सुनाई जाती है। जिसके बाद कन्याएं अच्छे वर की कामना करती हैं। और विवाहिताएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है।


लहरिया और राजस्थान का है महत्व

जब यह दिन इतना खास है तो इस दिन का परिधान भी तो खास होना चाहिए। जी हां, इस दिन लहरिया पहना जाता है। लहरिया और राजस्थान का गहरा नाता है। प्रदेश में बड़े स्तर पर लहरिया का उत्पादन किया जाता है। देशभर में जयपुर और जोधपुर से लहरिया की साड़ियां, सूट और चुन्नियां सप्लाई की जाती है। इस दिनों बाजार में कई तरह का लहरियां चल रहा है। इन दिनों डबल शेड लहरिया सबसे ज्यादा चलन में है। इसके साथ सिरोसकी वर्क, गोटा पत्ती वर्क, मिरर वर्क सबसे अधिक पसंद किया जा रहा है।

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