राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.सुधीर भंडारी के अनुसार वायरल फीवर के साथ ऑक्सीजन सेचुरेशन में कमी को हैप्पी हाइपोक्सिया कहा जाता है। लक्षण नजर आते ही इसकी जांच कर तुरंत इसका उपचार करवाना चाहिए। समय पर इलाज नहीं होने पर यह खतरनाक हो सकता है। उन्होंने बताया कि वायरल फीवर आजकल कई तरह के होने लगे हैं। कोविड और स्वाइन फ्लू होने पर शुरू के दो तीन दिन मरीज को ऑक्सीजन कम होने का पता ही नहीं चलता।
पूर्व सीएम भी हैप्पी हाइपोक्सिया के हुए शिकार पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी हैप्पी हाइपोक्सिया के शिकार हुए। उन्होंने एक दिन पहले सोशल मीडिया पर लिखा कि कई बार मरीज को इसके बारे में पता भी नहीं चलता।इससे सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं होती। लेकिन इसका जल्द निदान न किया जाए तो यह घातक हो सकता है। उन्होंने लिखा कि 5-6 दिन तक इसके कारण बहुत तकलीफ हुई।