मानवेंद्र सिंह जसोल ने साल 1999 में राजनीति में पहला कदम रखते हुए पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। मानवेंद्र सिंह तीन बार लोकसभा चुनाव लड़े। केवल एक चुनाव जीत पाए। जबकि उन्होंने तीन बार ही विधानसभा चुनाव लड़ा और जिसमें भी एक ही बार विजयी हुए। हाल ही में मानवेंद्र सिंह जसोल की भाजपा में वापसी हुई है।
भारतीय सेना में रहे कर्नल
राजनीति में आने से पहले मानवेंद्र सिंह भी अपने पिता की तरह भारतीय सेना में कार्यरत थे। वे कर्नल रैंक तक पहुंचे थे। बाद में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। मानवेंद्र सिंह के पिता जसवंत सिंह वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे लेकिन भाजपा ने जब मानवेंद्र सिंह की अनदेखी की तो उन्होंने भाजपा से किनारा करते हुए वर्ष 2018 में कांग्रेस का दामन थाम लिया।
लोकसभा- विधानसभा में मिली लगातार हार
जसवंत सिंह जसोल की विरासत को सहेजते हुए उनके बेटे मानवेंद्र सिंह 1999 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और कर्नल सोनाराम से हार गए। वहीं इसके बाद 2004 में बीजेपी की पहली जीत दर्ज करवाई लेकिन इसके बाद 2009 में कांग्रेस के हरीश चौधरी से फिर हार गए। लोकसभा में हार के बाद मानवेंद्र ने 2013 में विधानसभा में हाथ आजमाया। शिव सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए।
वसुंधरा राजे को दी थी चुनौती
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह ने झालरापाटन सीट से वसुंधरा राजे के सामने चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इन चुनावों से पहले वह भाजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। इस बार 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें सिवाना सीट से टिकट दिया। इस चुनाव में भी मानवेंद्र सिंह को हार का सामना करना पड़ा।
2020 में पिता और 2023 में पत्नी का निधन
वहीं निजी जीवन में उनको कई विफलता का सामना करना पड़ा। सबसे पहले पिता जसंवत सिंह का एक एक्सीडेंट हुआ और 2020 में उनका निधन हो गया। जिसके बाद साल 2023 में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर हरियाणा सीमा के पास एक घातक एक्सीडेंट में पत्नी चित्रा सिंह का निधन हो गया था। घटना के वक्त मानवेंद्र सिंह भी कार में मौजूद थे। उनको भी गहरी चोटें आई थी।
परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री
मानवेंद्र सिंह के परिवार में उनके पुत्र हमीर सिंह राठौड़ और पुत्री हर्शिनी सिंह राठौड़ हैं। वर्ष 2018 के चुनाव से उनकी पत्नी चित्रा सिंह भी राजनीति में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने लगी थी। हालांकि उन्होंने स्वयं कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन वे अपनी पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राजनीति और समाज सेवा के कार्यों में बराबरी की भागीदारी निभाती थी। दिल्ली से जयपुर लौटते समय अलवर के पास हुए सड़क हादसे में चित्रा सिंह का निधन हो गया। जिसमें मानवेंद्र सिंह और हमीर सिंह के साथ ड्राइवर भी गंभीर घायल हुए थे।