खजाने की इस बरकत को आचार संहिता के दौरान विभिन्न एजेंसियों की सख्ती से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं इस दौरान राजनीतिक दखल कम रहने का भी असर दिखा। राजस्व के इस साल के लक्ष्यों के हिसाब से तो प्रदेश की आय 44.80 प्रतिशत रही, जो पिछले साल की तुलना में करीब दो प्रतिशत कम रही। इसे आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो आय पिछले साल के मुकाबले करीब 4400 करोड़ रुपए अधिक हुई। करों से प्राप्त आय ने प्रदेश के खजाने को खूब मालामाल किया। मौजूदा वित्तीय साल में अक्टूबर तक करों से 85 हजार करोड़ रुपए से अधिक आए, वहीं पिछले वित्तीय वर्ष में अक्टूबर तक यह आंकड़ा करीब 74.5 हजार करोड़ को ही पार कर पाया था।
हर माह बढ़ती गई जीएसटी से आय
सरकार के अधिकृत आंकड़ों के अनुसार जीएसटी से पहले माह में करीब 3778 करोड़ रुपए ही आए, वहीं अक्टूबर में यह आंकड़ा 21905 करोड़ रुपए को पार कर गया।
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उधारी भी तेजी से बढ़ी
चुनावी साल होने के कारण अशोक गहलोत सरकार ने जनहित के नाम पर कई नई योजनाएं शुरू कर जमकर खर्चा किया, जिससे सरकार के खजाने पर बढ़े भार की भरपाई के लिए कर्ज भी अधिक लिया गया। मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले सात में पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले करीब 11 हजार करोड़ रुपए कर्जा अधिक लिया गया।
पिछले चार माह में अक्टूबर में आया सबसे अधिक राजस्व (राशि करोड़ रुपए में)
माह | वित्तीय वर्ष 2023-24 | वित्तीय वर्ष 2022-23 |
जुलाई | 12019.02 | 10160.92 |
अगस्त | 11856.77 | 13116.31 |
सितंबर | 11931.25 | 9817.98 |
अक्टूबर | 12614.62 | 11060.82 |
जीएसटी से यों भरता गया खजाना (राशि करोड़ रुपए में)
माह | जीएसटी से प्राप्त राशि |
अप्रेल | 3778.89 |
मई | 6715.16 |
जून | 9535.48 |
जुलाई | 12659.26 |
अगस्त | 15567.01 |
सितंबर | 18520.55 |
अक्टूबर | 21905.90 |
निवेश आए तो और बढ़े राजस्व
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि राजस्व का निवेश से सीधा संबंध है, क्योंकि निवेश आएगा तो आम आदमी की आय भी बढ़ेगी। ऐसे में यह आवश्यक है कि सरकार आने वाले वर्षों में निवेश अधिक से अधिक लाने के प्रयास करे और यह निवेश भी प्रदेश के सभी हिस्सों में आए तो आर्थिक तरक्की का असर अधिक दिखेगा।