जयपुर

राजस्थान के शहरों को रहने लायक बनाने के लिए ग्रीन-क्लीन डवलपमेंट अब एक साथ, दो से ज्यादा विभाग मिलकर करेंगे कार्य

Jaipur News: केन्द्र सरकार के क्लीन एवं ग्रीन विलेज प्रोग्राम की तर्ज पर ही राजस्थान के शहरों में काम शुरू होगा।

जयपुरNov 21, 2024 / 03:13 pm

Alfiya Khan

file photo

जयपुर। प्रदेश के शहरों में ग्रीन और क्लीन डवलपमेंट अब एक साथ होगा। इसमें स्वच्छता, हरियाली, ग्रीन बिल्डिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण से लेकर क्लीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) से जुड़े काम हैं। इसके लिए संबंधित विभागों की एक टीम एक-दूसरे के प्रोजेक्ट्स में कॉर्डिनेशन करेंगे। यानी कोई एक सरकारी एजेंसी काम कर रही है उससे वातावरण प्रदूषित या स्थानीय लोगों की दिनचर्या प्रभावित होने की आशंका है तो संबंधित दूसरी एजेंसी मिलकर उसका वहीं समाधान करेंगे। ऐसे काम में दो और उससे ज्यादा विभाग मिलकर कार्य करेंगे।
केन्द्र सरकार के क्लीन एवं ग्रीन विलेज प्रोग्राम की तर्ज पर ही राजस्थान के शहरों में काम शुरू होगा। इसमें कार्बन उत्सर्जन (कार्बन फुट प्रिंट) रोकने पर भी फोकस रहेगा। क्योंकि, यहां हर वर्ष 110 से 115 मिलीयन मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन हो रहा है। इसमें 34 प्रतिशत हिस्सा पावर प्लांट से और 31 प्रतिदिन हिस्सा परिवहन, कंस्ट्रक्शन सेक्टर का है। पिछले दिनों जयपुर में यूनाइटेड स्टेटस एजेंसी फोर इंटरनेशनल डवलपमेंट (यूएसएआईडी) की ओर से ‘साउथ एशिया एनर्जी फोरम’ के कार्यक्रम में भी इसकी जरूरत जताई गई थी। राज्य सरकार इसमें फोरम के प्रतिनिधियों को भी जोड़ने का प्लान बना रही है।
1. ग्रीन बिल्डिंग: ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट को बढ़ावा देने के लिए बिल्डिंग बायलॉज में कई तरह की सहुलियत दी गई हैं। इसी आधार पर नगरीय निकायों में बिल्डरों को ग्रीन बिल्डिंग कंसेप्ट से जुड़े प्रोजेक्ट लाने के लिए कहा जा रहा है।
2. उद्योग: सीमेंट और अन्य वृहद स्तर के उद्योगों से इंटरनेशनल बाजार में कार्बन क्रेडिट के लिए ज्यादा से ज्यादा भागीदारी के लिए काम होगा। इसमें सिरोही, उदयपुर, भिवाड़ी मुख्य औद्योगिक क्षेत्र है।

3. ग्रीन हाइड्रोजन: ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के 2000 किलो टन (प्रति वर्ष) क्षमता के प्लांट का टारगेट तय कर दिया है। इसमें 50 हजार मेगावाट सौर व विंड एनर्जी की जरूरत होगी। क्लीन एनर्जी से ग्रीन हाइड्रोजन बनेगी। इससे कार्बन फुट प्रिंट कम होगा।

सामने आई जरूरत

बेतरतीब तरीके से हो रहे शहरीकरण का साइड इफेक्ट जलवायु परिवर्तन के रूप में देखना पड़ रहा है। दक्षिण एशिया के देशों ने भी जयपुर में इस पर चिंता जताई और ग्रीन और क्लीन इन्फ्रास्ट्रक्चर के काम में कॉर्डिनेशन की जरूरत जताई। विशेष रूप से लोगों के रहने योग्य, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और कुशल शहरों के निर्माण के लिए यह जरूरी है।
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