होंगे ये तीन विकल्प 1- सीएसआर के तहत नामचीन कंपनियों को आमंत्रित किया जाएगा। इसमें कंपनियां ही पार्क का रखरखाव करेंगी। 2- विकास समितियों को पार्क गोद दिए जाएंगे। इसके लिए समिति रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है। निगम कुछ सहायता राशि भी समिति को देगा। निगरानी उद्यान शाखा करेगी।
3- ऐसी कंपनियां जो पार्क तो गोद लेना चाहती हैं, लेकिन रखरखाव की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती उनकी निगरानी निगम अपने स्तर या फिर विकास समिति को देगा। खास खास -900 से अधिक पार्कों को ग्रेटर निगम करता है संधारित
-10 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होता है पार्कों के रखरखाव पर