क्लीन एनर्जी की दिशा में बड़ा कदम
अक्षय ऊर्जा निगम के शीर्ष अफसरों का कहना है कि सालाना 1574 मेगावाट बिजली के उत्पादन में बड़े स्तर पर कार्बन उत्सर्जन होता है। इससे प्रदूषण बढ़ता है और पर्यावरण को नुकसान होता है। ऐसे में अगर प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों पर रूफटॉप लगाए जाते हैं तो क्लीन एनर्जी की दिशा में सरकार का यह बड़ा कदम होगा। यह भी पढ़ें
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ट्रांसमिशन का खर्चा भी नहीं
बिजली कंपनियां इस समय जो बिजली उपलब्ध करा रही हैं उसको पहुंचाने के लिए ट्रांसमिशन पर भी मोटा खर्चा हो रहा है। सरकारी कार्यालयों पर लगे रूफटॉप सोलर प्लांट से जो बिजली बनेगी वह वहीं खपेगी। ऐसे में ट्रांसमिशन पर करोड़ों रुपए के खर्च की भी बचत होगी। यह भी पढ़ें
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प्रति यूनिट 7 रुपए तक की बचत
अभी डिस्कॉम सरकारी कार्यालयों में 9 से 10 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली दे रहा है। सरकारी कार्यालय पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगने पर यही बिजली 3 से 4 रुपए यूनिट में मिलेगी। इससे प्रति यूनिट 7 रुपए तक की बचत होगी। यह भी पढ़ें
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सालाना 17 लाख यूनिट बिजली बनेगी
एक किलोवाट रूफटॉप सोलर प्लांट से दिनभर में (आसमान साफ होने पर) 4 यूनिट से ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है। सरकारी कार्यालयों पर लगने वाले 1 मेगावाट से सालाना 17 लाख यूनिट बिजली के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। यह भी पढ़ें
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विधानसभा, सचिवालय, जल भवन, विद्युत भवन, जेडीए, एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर कलक्ट्रेट। यह भी पढ़ें