जयपुर. प्रदेश में तकरीबन हर बार राजनीतिक आरोप- प्रत्यारोप में घिरने वाली स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शी नीति की बात करते-करते सरकार ने एक बार फिर पुरान ढर्रे से ही तबादले खोल दिए। सरकार ने मंगलवार को आदेश जारी कर सरकारी कार्मिकों के तबादलों पर लगा प्रतिबंध हटा लिया। तबादले 14 जुलाई से 14 अगस्त तक हो सकेंगे। सरकारी विभागों के साथ ही सभी निगमों, मंडलों और स्वायतशासी निकायों में भी स्थानांतरण हो सकेंगे।
राज्य सरकार ने इसी वर्ष मार्च में पारदर्शिता और एकरूपता का दावा करते हुए नई तबादला नीति व निर्देशों का प्रारूप जारी किया था। इस पर विभागों ने सुझाव भी प्रशासनिक सुधार विभाग को भेज दिए। लेकिन मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद यह नीति लागू होती, इससे पहले ही तबादलों से प्रतिबंध हटा लिया गया। रोक हटाने के आदेश में साफ किया गया है कि कोविड के मद्देनजर तबादला आवेदन संबंधित विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन ही लिए जाएंगे। आवेदन के लिए किसी को कार्यालय आने की जरूरत नहीं है।
… तो तीन माह, नियम से तबादले सरकार यदि नई तबादला नीति को मंजूरी देती है तो हर साल सिर्फ 1 अप्रेल से 30 जून के बीच ही तबादले हो सकेंगे। कर्मचारी 31 मार्च तक इच्छित स्थान का आवेदन करेंगे और काउंसलिंग के बाद स्थानांतरण होगा। इसके लिए विभागों को 15 मार्च तक तबादले योग्य पदों को सार्वजनिक करना होगा। मसौदे में 30 जून तक मौजूदा पोस्टिंग के दो साल पूरे होने पर ही तबादला होने, दिव्यांगजन, विधवा, परित्यक्ता, एकल महिला, पूर्व सैनिक, शहीद आश्रित, गंभीर रोग जैसी श्रेणियों को छूट और एक वर्ष से कम सेवा बचने पर तबादला नहीं होने का प्रावधान भी है।
फिर रहेगा आचार संहिता का बंधन इस बार फिर प्रशासनिक सुधार विभाग ने प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया के बीच ही तबादले खोले हैं। प्रदेश के 9 जिलों के 18 नगर पालिका क्षेत्रों में उपचुनाव की आचार संहिता लगी है। पहले, नवंबर 2020 में पंचायत चुनाव के दौरान आयोग आबकारी अधिकारियों और अन्य तबादला सूचियों पर रोक लगा चुका है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में आचार संहिता है, वहां तबादलों पर स्वत: ही रोक रहेगी।
नौ माह में ही फिर हटा प्रतिबंध कांग्रेस सत्ता में आने के ढाई वर्ष में दो बार तबादलों से बैन हटा चुकी है। इस बार नौ माह बाद प्रतिबंध हटाया गया है। इसके पहले 15 सितंबर 2020 से 31 अक्टूबर 2020 तक तबादले खोले गए थे। जबकि 10 सितंबर 2019 को ही करीब डेढ़ साल बाद प्रतिबंध लगा था।