डोटासरा ने कहा कि कांग्रेस मरते दम तक किसानों के साथ खड़ी है। डोटासरा ने कहा कि देश के कई हिस्सों में किसान इस हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में पिछले 34 दिनों से धरने पर बैठा है, लेकिन प्रधानमंत्री के पास किसानों से मिलने का समय नहीं है, लेकिन वे प्रायोजित इवेंट में भाग लेने के लिए कहीं भी चले जाते हैं।
पीसीसी चीफ ने दिल्ली में कहा कि नरेंद्र मोदी ने किसानों से दो वादे किए थे जिसमें एक वादा किसानों की आय दोगुनी करने का भी था। जिस पर किसानों ने उन्हें वोट देकर प्रधानमंत्री बनाया, लेकिन सत्ता में आते ही 2014 में केंद्र की एनडीए सरकार भूमि अधिग्रहण का कानून लेकर आई, जिसके विरोध में किसानों ने आंदोलन किया।
कांग्रेस ने भी राहुल गांधी के नेतृत्व में आंदोलन किया, जिस पर केंद्र को ये कानून वापस लेना पड़ा। अब 2019 में सरकार बनने के बाद मोदी सरकार य़े तीन काले कानून लेकर आई है, जिसे लाने से पहले न तो किसानों से बात की गई और न ही विपक्ष और न ही एनडीए के घटक दलों से बात की गई, इन कानूनों का क्या फायदे ये भी प्रधानमंत्री नहीं बता पा रहे हैं।
डोटासरा ने कहा कि तेल, रेल और एलआईसी के बाद अब किसानों की खेती उधमियों को बेचने को तैयार है। मोदी सरकार के यहां वनवे ट्रेफिक है, टू वे नहीं है। न तो प्रधानमंत्री मीडिया से संवाद करते हैं और नहीं उनके सवालों के जवाब देते हैं।
हमारे अध्यादेश राज्यपाल ने रोके
पीसीसी चीफ ने कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदेश के हर जिलें में आंदोलन हुए, धरने प्रदर्शन किए गए। डोटासरा ने कहा राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में किसानों की लड़ाई लड़ी जा रही है। राजस्थान सरकार ने किसानों के लिए कानून बनाए, लेकिन राज्यपाल ने ये अध्यादेश अपने पास रोक लिए और ष्ट्रपति को नहीं भेज रहे हैं।
48 घंटों में भेजेंगे कार्यकारिणी का प्रस्ताव
वहीं प्रदेश कांग्रेस की संभावित कार्यकारिणी को लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि 48 घंटों के भीतर प्रदेश कार्यकारिणी का प्रस्ताव बनाकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन के जरिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास भिजवाया जाएगा। इससे पहले आज फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे डोटासरा ने पार्टी के कोषाध्यक्ष पवन बंसल से उनके निवास पर जाकर शिष्टाचार मुलाकात की।
भाजपा नेता धरने पर बैठे उन्हें दूध-रबडी मिलेगी
वहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता औऱ हिमाचल प्रदेश के प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा कि आंदोलन के छोटे होने की सरकार की सोच है। जबकि देशभर के किसान इसमें शामिल है। शुक्ला ने भाजपा नेताओं से पूछा कि उन्हें दूध-रबड़ी देंगे तो क्या वह इस कड़कड़ाती सर्दी में बैठना पसंद करेंगे।