गौरतलब है कि कोरोना संकटकाल में सत्र आयोजन को लेकर लगातार गतिरोध बना हुआ है। राज्यपाल की ही आपत्तियों और सुझावों पर मंथन करने के बाद सरकार ने एक सप्ताह के दरम्यान तीसरी बार प्रस्ताव तैयार करके भिजवाया था। सरकार ने राज्यपाल को 31 जुलाई तक विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को दोहराते था। मंगलवार को भेजे गए प्रस्ताव में सरकार ने राज्यपाल की ओर से मांगे गए तीनों ही बिन्दुओं को स्पीकर के दायरे में होने का ज़िक्र किया था।
दरअसल, मुख्यमंत्री के राजभवन को लेकर सार्वजनिक रूप से दिए गए विवादित बयान और विधायकों के राजभवन कूच के बाद से ही राज्यपाल नाखुश हैं। ऐसे में पहले ही माना जा रहा था कि राज्यपाल तीसरी बार भेजे गए प्रस्ताव को भी कोई आपत्ति या टिपण्णी के साथ लौटा सकते हैं। ऐसा ही हुआ।
हालाँकि संभावना ये भी जताई जा रही थी कि राज्यपाल इस बार सत्र आहूत करने को लेकर विधानसभा अध्यक्ष से भी जानकारी मांग सकते हैं। अब जबकि एक सप्ताह में तीसरी बार संशोधित प्रस्ताव को लौटाया गया है तो राजभवन और सरकार के बीच टकराव और ज़्यादा गंभीर होने की संभावना बनी हुई है।
इससे पहले राज्यपाल की कार्यशैली को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री से पत्राचार और फोन पर भी बात कर चुके हैं। वहीँ कांग्रेस पार्टी देशभर के राजभवनों पर विरोध प्रदर्शन कर चुकी है। ज़ाहिर है अब कांग्रेस पार्टी सड़क पर आन्दोलन छेड़कर पुरजोर तरीके से अपनी आवाज़ बुलंद कर सकती है।