जानकार इसे सही दिशा में मान रहे। उनका कहना है कि इस पहल से अगली पीढ़ी खाना फेंकने से परहेज करेगी। युवा वर्ग शादी-ब्याह जैसे अवसरों पर बचे भोजन को फेंकने के बजाय उन भूखों का पेट भरेगा, जो खाली पेट सोने को मजबूर हैं। वैसे, यह समस्या भारत तक सीमित नहीं है। विकसित ही नहीं विकासशील देशों में भी होटल-रेस्टोरेंट, घर की रसोई में बचा-खुचा खाना फेंकने का चलन है।
देश में सालाना आधार पर प्रति व्यक्ति 94 किलो खाना बर्बाद होता है। इसे जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाए तो करोड़ों लोगों का पेट भरा जा सकता है। अर्थशास्त्री राकेश सिंह के अनुसार फसल की कटाई से लेकर बाजार में पहुंचने तक अन्न प्रबंधन की जरूरत है। यह काम मुश्किल जरूर है, मगर असंभव नहीं। सरकार ने 2030 तक भोजन की बर्बादी को आधा करने का लक्ष्य रखा है। फेंके गए भोजन से खाद व बायोगैस हासिल की जा सकती है।
2030 तक भोजन की बर्बादी को आधा करना है
बर्बाद या नुकसान हुए भोजन को खाद में बदला जा सकता है. इनसे बायोगैस का का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे हानिकारण मीथेन उत्सर्जन (द्वद्गह्लद्धड्डठ्ठद्ग द्गद्वद्बह्यह्यद्बशठ्ठह्य) से बचा जा सकता है. भोजन बर्बादी की चुनौती इतनी बड़ी है कि इसे सतत विकास के 2030 एजेंडे में भी जगह दी गई है. इसके तहत 2030 तक प्रति व्यक्ति भोजन बर्बादी को आधा करने का लक्ष्य रखा गया है. कटाई के बाद होने वाले अनाजों के नुकसान को 2030 तक 25 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया है.
संवेदनशील बनेंगे छात्र
केंद्रीय खाद्य व सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे मानते हैं कि खाद्य सुरक्षा पाठ से छात्र संवेनशील होंगे। रसोईं या विशेष अवसरों पर जरूरत भर का ही भोजन पकाएंगे। किसी कारण से भोजन बच गया तो फेंकने के बजाय उसे जरूरतमंदों को देंगे। इससे कचरा प्रबंधन में मदद मिलेगी। खराब खाने की वजह से होने वाले प्रदूषण से निजात मिलेगी।
घरों में खराब होता है 6.8 करोड़ टन भोजन
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के फूड वेस्ट सूचकांक के मुताबिक देश में हर व्यक्ति साल में 94 किलो भोजन खराब करता है। जाने-अनजाने यह नुकसान चरणों में होता है। रसोई में औसतन 6.88 करोड़ टन खाना वेस्ट होता है, जो प्रति व्यक्ति 50 किलो बैठता है। होटल-रेस्टोरेंट में प्रति व्यक्ति भोजन की बर्बादी 28 किलो है। मंडी से लेकर किराना दुकानों तक में अनाज का वेस्टेज प्रति व्यक्ति 16 किलो है। कुल मिला कर सालाना फूड वेस्टेज 1.28 करोड़ टन अनुमानित है।
भुखमरी की समस्या
अनाज के मामले में आत्म निर्भर होने के बावजूद भारत में भुखमरी-कुपोषण की समस्या है। नेशनल हेल्थ सर्वे के अनुसार 2017 में 19 करोड़ लोग रात में भूखे पेट सोने को मजबूर थे। अफसोस यह कि भूखों का पेट भरने के बजा य हम लगभग एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का भोजन कूड़े में फेंक देते हैं। वैसे, सरकारी प्रोत्साहन से हालात थोड़ा बदले हैं। सजग शहरी बचा भोजन गरीबों को देते हैं।
हैरान करने वाले आकड़े