जयपुर

सरकारी शिक्षकों का जज्बा देखना है तो जयपुर जिले के इस गांव में चले आइए

सरकारी शिक्षकों का जज्बा देखना है तो जयपुर जिले में जमवारामगढ़ के ढेकला गांव में चले आइए। कोरोनाकाल में डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं, ऐसे में यहां 100 से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित हैं।

जयपुरJul 02, 2021 / 02:26 pm

Kamlesh Sharma

सरकारी शिक्षकों का जज्बा देखना है तो जयपुर जिले में जमवारामगढ़ के ढेकला गांव में चले आइए। कोरोनाकाल में डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं, ऐसे में यहां 100 से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित हैं।

विजय शर्मा/जयपुर। सरकारी शिक्षकों का जज्बा देखना है तो जयपुर जिले में जमवारामगढ़ के ढेकला गांव में चले आइए। कोरोनाकाल में डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं, ऐसे में यहां 100 से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है, लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं। इसको देखते हुए स्कूल के शिक्षकों ने अनूठी पहल शुरू की है। शिक्षक ढाणी-ढाणी जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। खुले आसमान के नीचे पेड़ की छांव में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कक्षाएं चलाई जा रही हैं। स्कूल प्रबंधन ने अपने स्तर पर रोस्टर प्रणाली बनाई है। पूरे गांव की ढाणियों को तीन ब्लॉक में विभाजित किया है। यहां एक-एक ढाणी में तीन दिन तक 25-25 बच्चों का वर्ग बनाकर पढ़ाई कराई जा रही है। डेढ़ साल बाद पढ़ाई करने के बाद बच्चे खुश हैं। बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से आदेश नहीं हैं, लेकिन गांव के शिक्षकों ने स्वप्रेरणा से बच्चों को पढ़ाई कराने का बीड़ा उठाया है। पूरा गांव शिक्षकों की पहल की सराहना कर रहा है।
पहल इसीलिए जरूरी : पिछले सत्र 50 लाख बच्चे नहीं जुड़े ऑनलाइन कक्षाओं से
शिक्षा विभाग के आंकड़े कहते हैं कि पिछले सत्र 2020-21 में 83 लाख बच्चों में से 33 लाख ही ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ पाए। यानी 50 लाख बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित रहे। हालांकि शिक्षा विभाग का दावा है कि शेष 37 लाख बच्चे आओ घर से सीखें, टीवी और रेडियो के माध्यम से जुड़े। इसके बाद भी 13 लाख बच्चे पढ़ाई से महरूम रहे। अब नया सत्र शुरू हो गया है। ऐसे में शिक्षा विभाग ने इस सत्र 70 लाख बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से जोडऩे का लक्ष्य तय किया है।
बच्चों की पीड़ा : किसी का पिता नहीं तो किसी का पिता करता है मजदूरी

केस-1

एकता कक्षा चार में पढ़ती है। पिछले डेढ़ साल से लॉकडाउन के कारण स्कूल नहीं जा सकी। एकता और उसके दो भाइयों का भी स्कूल जाना बंद हो गया। पिता मजदूरी करते हैं। इसलिए तीनों ऑनलाइन क्लास में नहीं पढ़ पाते। शिक्षकों ने ढांणी में आकर पढ़ाई शुरू कराई तो सभी भाई-बहन अब कक्षा में आते हैं।
केस-2

कक्षा चार के छात्र गजेन्द्र के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। मोबाइल फोन नहीं होने के कारण ऑनलाइन क्लास से जुडऩा संभव नहीं है। छोटा भाई दिव्यांग है। पता लगा कि शिक्षक घर के पास क्लास लेने आते हैं तो अब दोनों भाई घर के पास कक्षा में रोज पढ़ रहे हैं।
केस-3

कक्षा दो की छात्रा दिव्या के पिता की तीन साल पहले बीमारी के चलते मौत हो गई। मां के पास इतने पैसे नहीं कि नया मोबाइल फोन देकर पढ़ाई करा सके। डेढ़ साल से पढ़ाई छूटी हुई थी। स्कूल के शिक्षकों ने ढाणी में ही कक्षा शुरू की तो दिव्या अब रोज पढ़ाई कर रही है।
पढऩा चाहते हैं बच्चे
बच्चे पढऩा चाहते हैं लेकिन मजबूरी है कि स्कूल शुरू नहीं कर सकते। इसीलिए हमने घर के पास ही बच्चों की कक्षाएं शुरू की है। शिक्षक नरेन्द्र दादरवाल के साथ हम ढाणी-ढाणी में अलग-अलग दिन कक्षाएं ले रहे हैं ताकि बच्चे पढ़ाई से दूर नहीं हो।
-बनवारी लाल शर्मा, प्रधानाध्यापक रा.प्रा. वि. ढेकला जमवारामगढ़

Hindi News / Jaipur / सरकारी शिक्षकों का जज्बा देखना है तो जयपुर जिले के इस गांव में चले आइए

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.