शहर में सचिवालय के अलावा कलक्ट्रेट, ग्रेटर निगम, विद्युत भवन और पुलिस एकेडमी शास्त्री नगर में क्रेच चल रहे हैं। इनमें एक से 7 साल के बच्चे रह रहे हैं। नौकरीपेशा महिलाएं सुबह दफ्तर आने से पहले बच्चों को यहां छोड़ देती हैं, वहीं लंच समय में संभाल लेती हैं। शाम को घर जाते वक्त बच्चों को साथ ले जाती हैं। दिनभर बच्चे अपने नजदीक रहने से महिलाएं चिंता मुक्त रहती हैं। इन क्रेच में 59 नौकरीपेशा महिलाएं अपने बच्चों को सुबह 9.30 से शाम 6 बजे तक रख रही हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे छुट्टी के बाद क्रेच आ रहे हैं, यहां उनका होमवर्क भी करवाया जा रहा है।
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क्रेच की सुविधा मिलने से दिनभर बच्ची की देखभाल की चिंता दूर हो गई है। बच्ची को यहां रखने के बाद लगने लगा है कि भले ही सरकारी दफ्तर में कैंटिन हो या नहीं पर क्रेच होना चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से क्रेच अच्छी जगह है। बच्ची को क्रेच में छोड़ने के बाद उसकी चिंता नहीं रहती है। यहां बच्ची को खेलने की सुविधा भी मिल रही है।
– श्रद्धा चौधरी, वित्त विभाग में कार्यरत
कार्य स्थल के पास क्रेच की सुविधा मिलने से बच्चे की देखभाल की चिंता दूर हो गई। दिन में एक बार बच्चे को संभाल लेते हैं। बच्चे को घर जैसा माहौल मिल जाए और उसकी घर जैसे देखभाल हो जाए तो मां की बड़ी चिंता दूर हो जाती है। हर संस्था कार्यालय में यह सुविधा उपलब्ध करवाएं तो नौकरीपेशा महिलाओं को राहत मिल सकती है।
– प्रिया पारीक, बैंक मैनेजर