जांच के लिए जाना होता था निजी अस्पताल या लैब
अब तक इस जांच के लिए एसएमएस अस्पताल के मरीजों को निजी अस्पताल या लैब में जाना पड़ता था। इसमें उनके 8 से 10 हजार रुपए खर्च हो जाते थे। इस लैब के ट्रॉमा सेंटर में स्थापित होने के बाद मरीजों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। उनके समय और धन, दोनों की बचत होगी। साथ ही रिपोर्ट भी जल्दी मिल जाएगी। इससे ट्रांसप्लांट में देरी नहीं होगी। यह भी पढ़ें – 1 जुलाई से अगर वाहनों ने नहीं लगाई HSRP तो परिवहन विभाग करेगा कार्रवाई, जुर्माना सुन उड़ जाएंगे होश तुरंत लगाई जा सकेगी नई हड्डी, दान से जुटाएंगे
लैब के साथ ही अस्पताल में बोन एवं टिश्यू बैंक भी बनाया जा रहा है। इसमें दुर्घटना में क्षतिग्रस्त हड्डी के दुर्घटनास्थल पर ही रह जाने या हड्डी के ज्यादा क्षतिग्रस्त होने पर हड्डी के गैप को मिटाने के लिए नई हड्डी लगाई जा सकेगी। हड्डी की गांठ, कैंसर के कारण हड्डी खराब होने की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए भी यह बैंक संजीवनी साबित होगा। इसमें डेडिकेटेड स्टाफ होगा। बैंक में हड्डी व टिश्यू को माइनस 77 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर रखा जाएगा। बैंक के लिए हड्डी ब्रेनडेड मरीजों के परिजनों की स्वीकृति से जुटाई जाएगी।