गौरतलब है कि राजस्थान में मिला यह बेशकीमती खजाना (Lithium found in Rajasthan) अब देश में अब तक का सबसे बड़ा लिथियम भंडार है। इसके बाद से खोजे जाने के बाद से इससे जुड़ी इंडस्ट्री में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। देश में लिथियम के भंडार और उत्पादन से इलेक्ट्रिक व्हीकल की लागत में भारी कमी आने का अनुमान है। इससे ईवी व्हीकल के मार्केट और इसके ग्राहकों को आने वाले समय में सीधा फायदा होने वाला है। बता दें कि राजस्थान के साथ ही लिथियम की खोज जम्मू-कश्मीर, मेघालय, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी जारी है।
लिथियम के लिए चीन पर निर्भर भारत
भारत अब तक लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है। हालांकि, राजस्थान में इस भंडार की खोज के साथ यह माना जाता सकता है कि चीन का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा। लिथियम एक अलौह धातु है, जिसका उपयोग मोबाइल-लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहन और अन्य चार्जेबल बैटरी बनाने में किया जाता है। लिथियम के लिए भारत पूरी तरह महंगी विदेशी आपूर्ति पर निर्भर है। अब जीएसआई को डेगाना के आसपास लिथियम का बड़ा भंडार मिलने के बाद से इसको खास उपलब्धि माना जा रहा है।
लिथियम की खोज पर जोर दे रहा जीएसआई
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) लीथियम, निकल, कोबाल्ट और अन्य दुर्लभ तथा महत्वपूर्ण खनिजों की खोज पर जोर दे रहा है। जीएसआई अधिकारी ने कहा कि जीएसआई की एक तिहाई वार्षिक परियोजनाएं इन तत्वों की खोज के लिए होंगी। स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए ये खनिज महत्वपूर्ण हैं। जीएसआई के उप-महानिदेशक (नीति सहयोग प्रणाली- योजना एवं निगरानी) असित साहा ने कहा कि राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन अब जियोसाइंस ऑस्ट्रेलिया फॉर मिनिरल एक्सप्लोरेशन के साथ काम कर रहा।
लिथियम को व्हाइट गोल्ड कहा जाता है
लिथियम दुनिया की सबसे हल्की धातु है, जिसकी जरूरत बैटरी से चलने वाले हर उपकरण को होती है। लिथियम दुनिया की सबसे नर्म और हल्की धातु भी है। उदाहरण के तौर पर यह चाकू से भी काटी जा सकती है साथ ही पानी में डालने पर तैरने जितनी हल्की होती है। यह रासायनिक ऊर्जा को संग्रहीत करता है और इसे विद्युत ऊर्जा में बदलता है। लिथियम आज घर में हर चार्जेबल इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी से चलने वाले गैजेट में मौजूद है। इसी वजह से दुनिया भर में लिथियम की जबरदस्त मांग है। वैश्विक मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है।