चुनावी साल के चलते केंद्र सरकार ने अन्नदाताओं के लिए बड़ी घोषणा की है। केंद्र सरकार ने किसानों को तोहफे में धान की MSP में बढ़ोतरी कर बड़ी राहत दी है। सरकार ने किसानों से धान की MSP में 250 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर दी है। इसके साथ ही दालों के समर्थन मूल्य भी बढ़ा दिए हैं। मक्के और तुअर दाल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाने से किसानों के लिए सरकार की ये घोषणा काफी फायदेमंद साबित होगी। राजस्थान में भी सरकार की ऋण माफ़ी योजना से लाखो किसानों को फायदा पहुंचा है। केंद्र सरकार ने किसानों के लिए बड़ी घोषणा करते हुए अन्नदाताओं को बडा तोहफा दिया।
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राजस्थान किसानों के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था राजस्थान सरकार के बजट 2018 की घोषणा ऋण माफी का किसानों को लाभ मिलना शुरू हो गया है। सरकार प्रदेश के गांवो में जगह-जगह शिविर लगा कर किसानों को ऋण माफ़ी योजना का लाभ दे रही है। साथ ही सरकार ने अब तक लाखों किसानों को ऋण माफ़ी पत्र देकर RIN MAFI YOJANA – 2018 का लाभ पहुंचाया है।
कर्जमाफी के लाभ से कोई पात्र किसान वंचित नहीं रह जाये इसको सुनिश्चित करने के लिये राजस्थान में त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाई है। किसान सर्वप्रथम वह अपनी शिकायत संबंधित ग्राम सेवा सहकारी समिति में दे सकता है। यदि किसी किसान को कर्जमाफी की राशि या उसको इसके लिये पात्र नहीं माने जाने के संबंध में किसी प्रकार की कोई आपत्ति है तो इसके समाधान के लिये जिला स्तर पर कमेटी बनाई गई है और यदि इसके स्तर पर भी किसान को समाधान नहीं मिल पाता है तो वह परिवेदना कमेटी के सम्मुख अपना पक्ष रख सकता है।
राजस्थान किसानों के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था राजस्थान सरकार के बजट 2018 की घोषणा ऋण माफी का किसानों को लाभ मिलना शुरू हो गया है। सरकार प्रदेश के गांवो में जगह-जगह शिविर लगा कर किसानों को ऋण माफ़ी योजना का लाभ दे रही है। साथ ही सरकार ने अब तक लाखों किसानों को ऋण माफ़ी पत्र देकर RIN MAFI YOJANA – 2018 का लाभ पहुंचाया है।
कर्जमाफी के लाभ से कोई पात्र किसान वंचित नहीं रह जाये इसको सुनिश्चित करने के लिये राजस्थान में त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाई है। किसान सर्वप्रथम वह अपनी शिकायत संबंधित ग्राम सेवा सहकारी समिति में दे सकता है। यदि किसी किसान को कर्जमाफी की राशि या उसको इसके लिये पात्र नहीं माने जाने के संबंध में किसी प्रकार की कोई आपत्ति है तो इसके समाधान के लिये जिला स्तर पर कमेटी बनाई गई है और यदि इसके स्तर पर भी किसान को समाधान नहीं मिल पाता है तो वह परिवेदना कमेटी के सम्मुख अपना पक्ष रख सकता है।