प्रदेश सहित देशभर के सैकड़ों बैचलर इन प्लान (नगर नियोजन में स्नातक) डिग्रीधारी भी नगर नियोजक पदों में शामिल हो सकेंगे। अशोक गहलोत मंत्रिमंडल की बैठक में 55 सालों से नियमों में चली आ रही विसंगति को दूर करने का बड़ा फैसला किया गया है।
नगर नियोजन विभाग के मौजूदा अव्यावहारिक नियमों के चलते इस पद के लिए बैचलर इन प्लान डिग्री लेने वाले अभ्यर्थी योग्य नहीं थे। बल्कि बैचलर इन आर्किटैक्चर डिग्री लेने वाले अभ्यर्थियों को पात्र माना जाता था। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस पद पर नगर नियोजन का काम करना है उस पद पर उसमें डिग्री वाले अभ्यर्थी आखिर क्यों उस पद के लिए योग्य नहीं थे ? अब नगर नियोजन विभाग की ओर से जल्द सहायक नगर नियोजकों के 43 पदों पर भर्ती की जाएगी। इन पदों के लिए ये डिग्रीधारी भी पात्र माने जाएंगे।
कई राज्यों ने पहले ही बदल दिए थे नियमन बैचलर इन प्लान की डिग्री लेने वाले युवाओं की उपलब्धता होने के चलते देश के कई राज्यों ने काफी पहले अपने नियम बदल दिए हैं। लेकिन राजस्थान इकलौता ऐसा राज्य था जो नियमों की विसंगति को अब तक झेल रहा था। लेकिन सरकार ने नियमों की इस विसंगति को दूर करने का बीड़ा उठाया और राज्य मंत्रिमंडल की हुई बैठक में नियमों में बदलाव को हरी झंडी दी गई।
अपात्र होने की ये थी वजह आजादी के बाद लम्बे समय तक बैचलर इन प्लान का पाठ्यक्रम कोई शिक्षण संस्थान संचालित नहीं करता था। ऐसे में निकायों में नगर नियोजक के पदों की भर्ती के लिए बैचलर इन आर्किटेक्चर डिग्री की अनिवार्यता रखी गई। साथ में चयनित अभ्यर्थियों को टाउन प्लानिंग का दो साल का कोर्स करने की भी अनिवार्यता रखी गई थी। आज देशभर के एक दर्जन से अधिक नामचीन शिक्षण संस्थानों में बैचलर इन प्लान का पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है।