इससे पहले कि वह गोवा पहुंच पाते पुलिस ने उनका पूरा प्लान फेल कर दिया। रोहित राठौड़, नितिन फौजी और उधम सिंह मनाली में खुद को ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे थे। यही वजह थी कि वह पहले मनाली इसके बाद मंडी पहुंचे। यहां दो दिन रुकने के बाद वह चंडीगढ़ पहुंच गए। यहीं के एक होटल से पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। फरारी के चार दिनों के दौरान इन्होंने पुलिस को चकमा देने के लिए चार राज्यों के चक्कर काटे। जिस होटल में ये ठहरे थे वहां फर्जी आई कार्ड से कमरा लिया।
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गोगामेड़ी की हत्या करने के बाद आरोपी रोहित सिंह राठौड़ और नितिन फौजी डीडवाना भाग गए। यहां से दिल्ली के लिए बस ली। इसे बाद धारूहेड़ा में उतरे और ऑटो रिक्शा से रेवाड़ी रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां से वे ट्रेन से हिसार पहुंचे। नितिन फौजी और रोहित राठौड़ 6 दिसंबर को हिसार रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज में कैद हुए थे। हिसार में रहने वाले नितिन फौजी के दोस्त उधम सिंह सैन के साथ टैक्सी लेकर मनाली पहुंचे। दो दिन तक वहां एक होटल में ठहरे।
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उधम सिंह ने चाचा के लड़के को फोन कर पूछा कि पुलिस तो नहीं आई। इतना पूछने के बाद उसने फोन रख दिया। पुलिस ने उधम सिंह की लोकेशन ट्रेस की तो वह मनाली की आई। पुलिस टीम मनाली पहुंची तो आरोपी टैक्सी करके चंडीगढ़ पहुंच गए। पुलिस टीम फिर चंडीगढ़ के लिए रवाना हुई और वहां एक होटल में ठहरे तीनों आरोपियों को दबोच लिया। इसमें दिल्ली पुलिस ने भी सहयोग किया। आरोपियों को पकड़ने में जेडीए के पुलिस निरीक्षक रविन्द्र प्रताप सिंह, सुनील जांगिड़ और सीएसटी आयुक्तालय जयपुर के मनीष शर्मा, पुलिस निरीक्षक स्पेशल सेल दिल्ली पुलिस राकेश कुमार और कांस्टेबल महेश की भूमिका रही।