पशुओं के लिए जानलेवा ग्लैंडर्स रोग को नियंत्रित करने के लिए पशुपालन विभाग लगातार जिलों में घोड़ों के सैंपल ले रहा है। अभी तक अजमेर समेत राज्य के चार जिलों में ही घोड़ों में इस रोग की पुष्टि हुई है। घोड़े, खच्चर और गधों में मुख्य रूप से यह संक्रामक रोग पाया जाता है जो कि इंसान को भी संक्रमित कर सकता है।
पशुपालन विभाग के मुताबिक.. अभी तक जयपुर में ग्लैंडर्स रोग का कोई भी सैंपल पॉजिटिव नहीं पाया गया है। पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ अजय कुमार गुप्ता का कहना है कि रोग की आशंका को देखते हुए नियमित घोड़ो के सैंपल लेकर टेस्टिंग के लिए हिसार भिजवाए जा रहे हैं। अभी राज्य में अजमेर, राजसमंद, उदयपुर और धौलपुर जिलों में इस रोग की पुष्टि होने पर इन्हीं जिलों में लोगों से शादियों में घोड़ों का इस्तेमाल नहीं करने की अपील की गई है। इन जिलों में 27 पशुओं की मौत इस रोग से हो चुकी है।
पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला रोग है..
ग्लैंडर्स जूनोटिक महत्व का होने के कारण पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला रोग है। इससे ग्रस्त पशुओं के सम्पर्क में आने से यह बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है। हालांकि अभी तक एक भी मामला ऐसा सामने नहीं आया है।
ग्लैंडर्स जूनोटिक महत्व का होने के कारण पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला रोग है। इससे ग्रस्त पशुओं के सम्पर्क में आने से यह बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है। हालांकि अभी तक एक भी मामला ऐसा सामने नहीं आया है।
वर्षो बाद फिर आई ग्लैंडर्स बीमारी..
पशुपालन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रविदत्त मिश्रा ने बताया कि कई वर्षों पहले ग्लैंडर्स रोग भारत से विदा हो चुका है। लेकिन 7-8 महीने पहले उदयपुर , राजसमंद और धौलपुर के अश्ववंश में यह बीमारी पाई गई थी।
पशुपालन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. रविदत्त मिश्रा ने बताया कि कई वर्षों पहले ग्लैंडर्स रोग भारत से विदा हो चुका है। लेकिन 7-8 महीने पहले उदयपुर , राजसमंद और धौलपुर के अश्ववंश में यह बीमारी पाई गई थी।
ये हैं बीमारी के लक्षण..
– अश्ववंश के नथूनों में जख्म होना। – सांस लेने में परेशानी होगा – आंख व नाक से गंदा पानी गिरना – काम करने की क्षमता समाप्त होना
– अश्ववंश के नथूनों में जख्म होना। – सांस लेने में परेशानी होगा – आंख व नाक से गंदा पानी गिरना – काम करने की क्षमता समाप्त होना
– शरीर में गांठें पड़ जाना – अंत में अश्ववंश की मौत आपको बता दें कि ग्लैंडर्स रोग में शरीर पर फोड़े फुंसियाँ निकल आते हैं। 2012 की पशुगणना के मुताबिक राज्य में घोड़ और खच्चरों की संख्या करीब 38 हजार है।