पिछले कुछ दिनों से पार्टी छोड़ने को लेकर चल रही अटकलों के बीच सुभाष महरिया ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना त्याग-पत्र दे दिया है। उन्होने राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखे पत्र को अपने ट्विटर पर भी शेयर कर दिया है। पत्र में कहा है कि, मेरे द्वारा कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के पश्चात् असंख्य कार्यकर्ताओं के साथ जमीनी स्तर पर जी-तोड़ मेहनत की गई जिसके परिणामस्वरूप सीकर लोकसभा क्षेत्र में स्थित सभी आठ विधानसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी को सफलता प्राप्त हुई और प्रदेश में कांग्रेस नीत सरकार का गठन हुआ।
हार के कारणों की आज तक नहीं हुई समीक्षा
उन्होने कहा कि हमारे द्वारा किसान व नौजवान को गांव-गांव, ढाणी-ढाणी जाकर विश्वास दिलाने का प्रयास किया गया कि कांग्रेस नीत सरकार का गठन होने पर कांग्रेस पार्टी द्वारा घोषणा पत्र में किए गए शत-प्रतिशत वादे पूर्ण किए जायेंगे। इसके पश्चात् वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी को हार का मुहं देखना पडा परन्तु कांग्रेस पार्टी द्वारा एक भी समीक्षा बैठक आज तक नहीं की गई।
मतदाताओं का टूटा भरोसा
उन्होने बताया कि आज तक कांग्रेस में रहकर आमजन की सेवा की है, साथ ही भरोसा दिलाया है कि राज्य सरकार के नीतियों के चलते कर्जमाफी व बेरोजगारी के वायदों पर कांग्रेस आमजन के साथ है लेकिन वर्तमान सरकार घोषणा पत्र के वादों को पूर्णरूप से भुला चुकी है तथा प्रदेश का कर्जमाफी और बेरोजगारी के वादों पर भरोसा करके वोट देने वाला किसान व युवा स्वयम् को ठगा सा महसूस कर रहा है।
यह रहा सफर
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में 1 नवंबर 2016 को शामिल होने वाले दो जाट नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया और पूर्व सांसद हरि सिंह हैं। इससे पूर्व तीन बार के सांसद और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे महरिया एक प्रमुख जाट नेता हैं और कभी भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। 1998 और 1999 से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए तथा 2004 तक केंद्रीय राज्यमंत्री ग्रामीण विकास मंत्रालय में रहे। 2004 में फिर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए इसके बद 2010 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनें, तथा 2011 भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया।