इसी को देखते हुए सरकार ने अब सरकारी कार्मिकों की बजाए अपनी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने के लिए राजीव गांधी युवा मित्र की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार से जुड़े सूत्रों की माने तो राजीव गांधी युवा मित्र घर-घर जाकर योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के साथ ही वंचित लोगों को योजनाओं का लाभ भी दिलाएंगे।
इसके लिए बकायदा आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय ने 3000 राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप प्रोग्राम के नाम से भर्ती निकाली है। इसमें 18 से 40 वर्ष के लोगों से ऑनलाइन आवेदन में मांगे गए हैं, जिसमें शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास रखी गई है। राजीव गांधी युवा मित्र जिला और ब्लॉक लेवल पर नियुक्त किए जाएंगे।
जुलाई माह तक होगी भर्ती प्रक्रिया पूरी
बताया जाता है कि राजीव गांधी युवा मित्र की भर्ती प्रक्रिया जुलाई माह तक संपन्न हो जाएगी, योग्यता और साक्षात्कार के जरिए भर्ती होगी। हालांकि भर्ती विज्ञापन में यह साफ कहा गया है कि राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप प्रोग्राम किसी भी प्रकार की रोजगार गारंटी नहीं देता है। बताया जाता है कि चयनित होने वाले युवा मित्रों को 15000 रुपए मासिक इंटर्नशिप के तौर पर दिए जाएंगे।
2023-24 के बजट में सीएम ने की 5000 युवा मित्रों की भर्ती की घोषणा
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2023-24 में सरकार की योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए 5000 युवा मित्रों की भर्ती की घोषणा की थी। इससे पहले साल 2021-22 के बजट में भी 2500 राजीव गांधी युवा मित्रों की भर्ती की बात कही गई थी जिनमें से दो हजार की भर्ती पूर्व में हो चुकी है। ऐसे में इस बार 3000 की भर्ती का लक्ष्य रखा गया है।
चहेतों को उपकृत करने की भी चर्चा
इधर जानकारों का कहना है कि गहलोत सरकार राजीव गांधी युवा मित्र के बहाने एक विचारधारा को मानने वाले युवाओं और अन्य व्यक्तियों को इस योजना में उपकृत करना चाहती है। पूर्व में 2000 युवा मित्रों की भर्ती के दौरान भी एक विचारधारा से जुड़े लोगों को अधिक मौका दिए जाने के आरोप लगे थे।
दो माह तक ही मिल पाएगा काम का मौका
वहीं चर्चा यह भी है कि भर्ती प्रक्रिया जुलाई माह के अंत तक संपन्न होगी। सरकार की ओर से भर्ती किए गए राजीव गांधी युवा मित्रों को केवल 2 माह तक ही काम करने का मौका मिलेगा उसके बाद चुनावी आचार संहिता लग जाएगी।
इनका कहना है
सरकार 3000 राजीव गांधी युवा मित्रों की भर्ती करने जा रही है, जुलाई तक भर्ती प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी, इनका काम सरकार की योजनाओं का आमजन के बीच प्रचार-प्रसार करना होगा।
भंवर लाल बैरवा, निदेशक एवं संयुक्त शासन सचिव
आर्थिक सांख्यिकी विभाग
पत्रिका व्यू...
सरकार का एक मात्र लक्ष्य जब चुनाव जीतना ही रह जाए तो इस तरह की भर्ती पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। राजस्थान सरकार को अपनी योजनाओं के प्रचार का पूरा अधिकार है, लेकिन चुनावी आचार संहिता लगने से चंद महीने पहले इस तरह की भर्ती से मंशा पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक है। सवाल ये भी उठता है कि सरकारी योजनाओं का प्रचार क्या मौजूदा कर्मचारी नहीं कर सकते हैं? हर विभाग में योजनाओं के प्रचार के लिए जनसम्पर्क अधिकारी मौजूद हैं। फिर इस तरह की भर्ती का औचित्य क्या है? इससे संदेश यही जाएगा कि सरकार को अपने कर्मचारियों पर ही भरोसा नहीं है।
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