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जयपुर

राजस्थान के ये गणेश मंदिर, जहां पूरी होती है मनोकामना

विनायक को 108 नामों से जाना जाता है। भगवान गजवक्र सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय होते है।

जयपुरAug 25, 2022 / 05:35 pm

Santosh Trivedi

विनायक चतुर्थी

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गजानन का जन्मोत्सव देश में ही नहीं बल्कि विदेश में धूम धाम से मनाया जाता है। कई दिन पहले से ही श्रद्धालु सिद्धि विनायक के जन्मोत्सव की तैयारियों में लग जाते है। इन दिनों में अलग- अलग तरह से झांकिया भी बनाई जाती है। विनायक को 108 नामों से जाना जाता है। भगवान गजवक्र सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय होते है। इन्हें मनोकामना पूरी करने वाला देवता भी कहा जाता है। 10 दिन का यह पर्व लोगों के मन में भक्ति भाव का माहौल बनाए रखता है। 31 अगस्त से गणेशोत्सव की धूम होने को है। जिसमें लोग गणपति बप्पा को अपने घर लाते है और उनकी विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दौरान लोग व्रत कर मनोकामना सिद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।

इश्किया गजानन जोधपुर
1- जोधपुर में स्थित इश्किया गजानन मंदिर प्रेमियों की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है।
2- पहले इस मंदिर को गुरु गणपति के नाम से जाना जाता था। स्थानीय लोगों की मानें तो शादी से पहले प्रेमी जोड़ा पहली मुलाकात के लिए इस मंदिर में आया करते थे।

3- लम्बोदर के इस मंदिर की मान्यता है कि मन्नत मांगने पर रिश्ता बहुत जल्द तय हो जाता है।
4 – बदलते समय के साथ भी गौरीसुत के इस मंदिर में प्रेमी जोड़ों की श्रद्धा बरकरार है।

 

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त्रिनेत्र गणेश, रणथंभौर
1. सवाईमाधोपुर के रणथम्भौर दुर्ग में स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर, जहां गणेश जी अपनी दोनों पत्नी रिद्धि-सिद्धि और बेटे शुभ-लाभ के साथ विराजमान है।
2. यह एक ऐसा मंदिर है जहां मंगलमूर्ति की तीन आंखों वाली प्रतिमा विराजित है
3. मान्यता के अनुसार द्वापर युग में लीलाधारी श्री कृष्ण का विवाह रुक्मणी से हुआ था, विवाह में वे गणेशजी को बुलाना भूल गए। गणेशजी के वाहन मूषकों ने कृष्ण के रथ के आगे-पीछे सब जगह खोद दिया। श्री कृष्ण को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने गणेशजी को मनाया।
4. यहां पर सब अपनी अर्ज़ी एक खत में लिखकर भिजवाते है और डाकिया उसे मंदिर में छोड़ कर जाता है और पंडित जी वहां सारे पत्र भगवान को पढ़ कर सुनाते है
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नहर के गणेश जी, जयपुर
1 . नहर के सिद्धिदाता आज भी निभा रहे हैं जयपुर की परंपरा, हर वर्ष वक्रतुण्ड महाराज को पारंपरिक राजशाही जरी की पोशाक धारण कराई जाती है।
2 . रत्नों और गोटा-पत्ती से जड़ी पोशाक को कारीगरों द्वारा एक माह पहले तैयार कर लिया जाता है। जिसका वजन लगभग 20 किलो होता है। प्राचीन समय से ही जरी की पोशाक को जयपुरी शान माना जाता है।
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गढ़ गणेश मंदिर, जयपुर

1. हर मंदिर में सूंड वाले चतुर्भुज भगवान की पूजा की जाती है लेकिन संभवतः यही एक मात्र मंदिर ऐसा है जहां बाल रूप यानी बिना सूंड वाले बालरूप की पूजा की जाती है
2. यह मंदिर इतनी उंचाई पर बसा हुआ हैकि वहां पहुंचने पूरा शहर नजर आता है।
3 . गढ़ गणेश मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित एक “ताज ***** जैसा दिखने वाला प्रसिद्ध मंदिर माना है।
4 . इस मंदिर के मुख्य मार्ग पर 365 सीढ़ियाँ हैं जिसकी प्रत्येक सीढी एक दिन का प्रतीक है जो अंततः भगवान बुद्धिप्रिय के दर्शन की ओर ले जाती है।
5 . इस मंदिर की स्थापना तांत्रिक विधि से हुई थी।
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