विसर्जन के बाद पानी नहीं होगा प्रदूषित: इस बार शहर में विभिन्न स्थानों पर मूर्तिकारों ने कोलकाता की काली मिट्टी, बीकानेर की खड़िया तथा शिप्रा नदी के आस-पास के क्षेत्र से मंगाई पीली मिट्टी को मिश्रित कर 1 से 15 इंच तथा चार फीट ऊंची इकोफ्रेंडली मूर्तियां तैयार की हैं। विसर्जन के बाद इनसे जल प्रदूषित नहीं होगा। मूर्तिकारों को पिछले बार के मुकाबले 40 फीसदी ऑर्डर अधिक मिले हैं। मूर्तिकारों के अनुसार शहर में रोजाना दो हजार से अधिक गणेश प्रतिमाओं की बिक्री हो रही है।
अलग-अलग स्थानों के गणपति की प्रतिमा: मूर्तिकारों के अनुसार लोगों में सबसे ज्यादा क्रेज मुंबई के लालबाग के राजा के स्वरूप वाली प्रतिमा का है। इस बार एक फीट ऊंची प्रतिमा की मांग अधिक है, जिसकी कीमत 150 रुपए से 3000 रुपए तक है। इसके अलावा मुंबई स्थित भगवान सिद्धि विनायक, पूना स्थित दगडू सेठ, मोतीडूंगरी स्थित भगवान गणेश व खुजराहो वाले भगवान गणेश के स्वरूप सहित अन्य स्वरूपों में भी भगवान गणेश की प्रतिमाएं तैयार की हैं। इनमें भगवान गजानन मूषकराज, मोर, कमल, सिंहासन व रथ पर विराजमान हैं। प्रतिमा बनाते समय उनमें तुलसी, नीम व गिलोय सहित अन्य औषधीय महत्व के पौधों के बीज भी डाले गए हैं। विसर्जन के बाद ये बीज घरों में गमले-बगीचे में पौधे का रूप लेंगे।
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अलग-अलग शहरों से मिले ऑर्डर: टोंक रोड, सांगानेर, जेएलएन मार्ग, वैशाली नगर, सीकर रोड, राजापार्क, व गोपालपुरा सहित अन्य जगहों पर मूर्तिकार गणेश प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। गुजरात के मूर्तिकार रमेश और पाली से आई भगवती ने बताया कि सवाई माधोपुर, कोटा, अजमेर व उदयपुर सहित अन्य शहरों से भी प्रतिमाओं के ऑर्डर मिले हैं। मूर्तिकार पीरा देवी ने बताया कि ऑर्डर के अनुसार बाईं और दाहिनी सूंड वाले भगवान गणेश की प्रतिमाएं तैयार की हैं।