इससे पूर्व प्रशासन व आंदोलनकारियों के बीच पांच घंटे के दौरान दो बार वार्ता हुई, लेकिन आंदोलनकारियों ने मोहनसिंह सैनी के शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। प्रशासन को डर था कि आंदोलनकारी शव को पड़ाव स्थल पर रख सकते हैं। ऐसे में प्रशासन आंदोलनकारियों से आश्वासन चाहता था कि वे शव को मोर्चरी से ले जाकर अंतिम संस्कार करेंगे, लेकिन इसको लेकर सहमति नहीं बन रही थी। देर रात मामला सुलझ गया। इधर, हाईवे स्थित गांव अरोदा में नौ दिन से आंदोलनकारियों का कब्जा बना हुआ है। इससे वाहनों को भी वैकल्पिक मार्ग से होकर निकलना पड़ रहा है।
शुक्रवार देर रात Mali-Saini society व जिला कलक्टर आलोक रंजन के साथ हुई वार्ता में सहमति बनने पर मृतक मोहन सिंह सैनी के शव का पोस्टमार्टम कराया गया था। शनिवार को मृतक के परिजन व संघर्ष समिति की कमेटी के लोग भरतपुर पहुंचे और एसपी कार्यालय में प्रशासन के साथ वार्ता की।
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बैठक के बाद समिति के सचिव बदन सिंह कुशवाह ने कहा कि प्रशासन ने सिर्फ शव के अंतिम संस्कार को लेकर वार्ता करने के लिए बुलाया था, लेकिन हाईवे को खाली कराने के अलावा कोई भी बात नहीं की है। इससे अब हम परेशान हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि अब एक मई को ओबीसी आयोग के अध्यक्ष के साथ वार्ता की जाएगी।