अब गर्मी दिखायेगी तेवर, 8 मई से अधिकतम तापमान में होगी 5 डिग्री की बढ़ोतरी
डिजीटलाइजेशन के साथ—साथ साइबर ठगी भी बढ़ी
अखिल राज्य ट्रेड एण्ड इण्डस्ट्री एसोसिएशन यानि आरतिया के मुख्य सलाहकार कमल कन्दोई ने बताया कि आज छोटे से छोटा काम भी कम्प्यूटर एवं मोबाइल के माध्यम से किया जा रहा है। सरकार की ओर से ऑनलाइन पेमेंट को प्रमोट किया जा रहा है तथा कई-कई स्थानों पर तो इसे आवश्यक रूप से लागू किया जा रहा है। इससे आम नागरिक एवं व्यापारियों को सहूलियत तो मिली है, समय कम नष्ट होता है तथा बिना भाग-दौड़ के फिंगर टिप्स पर आसानी से कार्य हो जाते हैं, किन्तु आज जिस गती से भारत में डिजीटलाइजेशन बढ़ रहा है, साइबर ठगी की वारदातें भी उसी गती से बढ़ रही है।
महंगाई में मिली राहत, कमर्शियल गैस सिलेंडर हुआ सस्ता, 171.50 रुपए घटे दाम
ऑनलाइन पेमेंट सुरक्षित रखना सरकार का काम
कन्दोई ने कहा कि सरकार द्वारा ऑनलाइन माध्यम से लेन-देन को जबरदस्ती प्रत्येक व्यक्ति पर थोपा जा रहा है, तो इसे सुरक्षित रखने का कार्य भी सरकार का ही है। साथ ही यदि किसी व्यक्ति के साथ कोई धोखाधड़ी होती है, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए, कि वे शिकार हुए व्यक्ति को जल्द से जल्द उसकी राशि दिलवाये। आज दुनिया पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर है और पूरी तरह डिजिटल हो चुकी है। आज लगभग प्रत्येक व्यक्ति एंड्रॉयड मोबाइल का उपयोग करता हैं।
बदलते मौसम ने बदला कूलर कारोबारियों का गणित, ग्राहकों की संख्या घटी, कारोबार हुआ ठप
रेगूलेशन एक्ट बनाने की जरूरत
भारत में ‘साइबर क्राइम प्रिवेंशन एवं रेगूलेशन एक्ट’ बनाये जाने की जरूरत है, जो कि वर्तमान परिपेक्षय में बेहद आवश्यक है। वर्तमान में साइबर क्राइम से जुड़े ज्यादातर मामले आईटी एक्ट 2000 की धारा 43, 65, 66, 67 व आईपीसी की धारा 420, 120बी और 406 के अन्तर्गत चलाये जाते हैं। इसलिए भारत में साइबर क्राइम प्रिवेंशन एवं रेगूलेशन एक्ट बनाया जाना चाहिए, ताकि ऑनलाइन ठगी एवं साइबर क्राइम के पीड़ितों को एक समय—सीमा में जल्द से जल्द न्याय मिल सके।