गौरतलब है कि पापड़दा क्षेत्र के कालीखाड़ गांव की ढाणी डांगडा में सोमवार दोपहर करीब तीन बजे पांच वर्षीय मासूम आर्यन मीना खेलते समय खुले बोरवेल में गिर गया था। इसके बाद से एनडीआरएफ की दो टीम, एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस सहित प्रशासन व पुलिस रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई है। बता दें कि दौसा जिले में चार महीने के अंदर चार
बोरवेल हादसे हो चुके है। जानें प्रशासन को अब तक कितनी बार मिली रेस्क्यू में सफलता मिली और कब-कब हादसे हुए?
25 अक्टूबर : बोरवेल में गिरने से किसान की मौत
लालसोट क्षेत्र के टोडा ठेकला गांव में 25 अक्टूबर की शाम बोरवेल पर काम करते समय मिट्टी ढहने से एक किसान की मौत हो गई थी। हेमराज (45) पुत्र गंगूलाल गुर्जर खेत पर बने बोरवेल में रस्सी के टूटने पर उसे दुरुस्त कर रहा था। इसी दौरान अचानक मिट्टी ढहने से हेमराज करीब 25 फीट की गहराई पर दब गया। घटना की जानकारी मिलते तत्काल जेसीबी की मदद से बोरवेल के इर्द-गेट मिट्टी खुदाई का कार्य शुरू किया गया। 2 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद 25 फीट गहराई पर मिट्टी में दबे हेमराज गुर्जर को अचेत अवस्था में बाहर निकालकर लालसोट जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
18 सितंबर: 2 साल की मासूम 600 फीट गहरे बोरवेल में गिरी
बांदीकुई में गुढ़ा रोड स्थित गांव जोधपुरिया में करीब ढाई साल की मासूम बालिका नीरू गुर्जर 18 सितंबर को खेलते समय बोरवेल के समीप बारिश के चलते धंसी जमीन से होकर बोरवेल में करीब 30 फीट गहराई पर अटक गई थी। हालांकि, करीब 17 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बच्ची को बचा लिया गया था। इसमें देशी जुगाड़ की कई टोलियों ने भी सहयोग किया। रेस्क्यू में जुटे एनडीआरएफ के जवानों ने तीन फीट व्यास का पाइप डालकर करीब बीस फीट लंबा टनल बनाया। इसके बाद करीब 30 फीट पर फंसी बच्ची को टनल के रास्ते सुरक्षित बाहर निकाला था।
28 अगस्त: मिट्टी ढहने से बोरवेल में गिरा किसान
रामगढ़ पचवारा क्षेत्र के राणौली गांव मेें 28 अगस्त खेत में लगे बोरवेल की मिट्टी ढहने से एक युवा किसान की मौत हो गई थी। यह बोरवेल करीब 160 फीट गहरा था, जिसमे करीब 40 फीट की गहराई पर उक्त किसान मिट्टी में दब गया था। प्रशासन की मौजूदगी में ग्रामीणों के सहयोग से उसको बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान भी चलाया गया, लेकिन किसान की जान को नहीं बचाया जा सका था। किसान रामनिवास मीना (45) पुत्र नानगराम मीना अपने खेत पर बने बोरवेल पर पहुंचा था। तभी बारिश के चलते बोरवेल ढह गया था, इस दौरान जब रामनिवास बोरवेल को दुरुस्त करने के लिए खुदाई करने लगा तो अचानक मिट्टी ढह गई और वह करीब 40 फीट की गहराई में दब गया था।