जयपुर

विदेशी पर्यटकों ने भी पारंपरिक चित्रकला की बारीकियों को समझा

आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सिटी पैलेस जयपुर में गुरुवार को कौशल प्रदर्शन दिवस मनाया जाएगा। कार्यक्रम में सिटी पैलेस में एक माह तक चले सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर के दौरान सिखाए गए कौशल का प्रदर्शन किया जाएगा।

जयपुरJun 29, 2022 / 07:33 pm

Rakhi Hajela

विदेशी पर्यटकों ने भी पारंपरिक चित्रकला की बारीकियों को समझा

विदेशी पर्यटकों ने भी पारंपरिक चित्रकला की बारीकियों को समझा
सिटी पैलेस में आज मनाया जाएगा कौशल प्रदर्शन
जयपुर,29 जून। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत सिटी पैलेस जयपुर में गुरुवार को कौशल प्रदर्शन दिवस मनाया जाएगा। कार्यक्रम में सिटी पैलेस में एक माह तक चले सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर के दौरान सिखाए गए कौशल का प्रदर्शन किया जाएगा। संग्रहालय व कला एवं संस्कृति विभाग के ओएसडी रामू रामदेव ने बताया कि दोपहर 12.30 बजे शिविर के प्रशिक्षणार्थी पांरपरिक चित्रकला, धु्रवपद, कथक, लोक नृत्य, बांसुरी और मांडना कला का प्रदर्शन किया जाएगा।
इस प्रशिक्षण शिविर में राजस्थान के प्रख्यात कलाकारों की ओर से प्रशिक्षणार्थियों को पारंपरिक कलाओं के गुर सिखाए गए। जिसमें मधु भट्ट तैलंग ने धु्रवपद, डॉ. ज्योति भारती गोस्वामी ने जयपुर घराने का कथक, आरडी गौड़ ने बांसुरी का प्रशिक्षण दिया। वहीं श्री रामदेव ने पारम्परिक चित्रकला में बेसिक लाइंस और खनिज रंगों के बारे में, हेमंत रामदेव ने कांगडा शैली और बाबू लाल मारोटिया ने जयपुर स्टाइल के बारे में प्रशिक्षण दिया। इसी प्रकार से लक्ष्मी नारायण कुमावत ने मांडना कला का प्रशिक्षण दिया।
लंदन से आए विदेशी पर्यटकों ने भी पारंपरिक चित्रकला की बारीकियों को समझा। खनिज रंगों और प्रभावपूर्ण रेखाओं के बारे में जाना। इस दौरान उन्हें मेडिटेशन कराया गया और मेडिटेशन का महत्व भी समझाया गया।
जेकेके में भरतनाट्यम, लय-ताल और भावों का संगम
जेकेके व आंगीकम् संस्थान का कार्यक्रम
नृत्य गुरु ज्ञानेंद्र दत्त बाजपेयी व शिष्यों ने दी प्रस्तुति
जयपुर। जवाहर कला केंद्र व आंगीकम् संस्थानकी ओर से बुधवार को भरतनाट्यमकृताल मालिका का आयोजन हुआ। इसमें नृत्य गुरु ज्ञानेंद्र बाजपेयी और उनके शिष्यों ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। निकिता मुद्गल के निर्देशन में हुए कार्यक्रम में जयपुरवासियों ने बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज करवाई।
मल्लारी पर थिरकते कदमों के साथ कार्यक्रम का आगाज हुआ। शिष्याओं के कदम थमते ही बाजपेयी ने कमान संभाली। देव स्तुति के लिए मंच पर आए नृत्य गुरु ने पद्म की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। भरतनाट्यम में पदम ऐसी विधा है जिसमें नृत्य के दौरान भावों की प्रधानता के साथ ही अभिनय कौशल का प्रदर्शन भी करना होता है। बाजपेयी ने संगीत, भाव, कदमों की ताल को एक माला में पिरोकर दर्शकों का दिल जीत लिया।
हनुमान जी की साधना के साथ समापन
इसके बाद बाजपेयी के शिष्य जयदीप ने ताल मालिका में लयबद्ध गणपति रायन पेश किया। ताल मालिका को भरतनाट्यम में तकनीकी तौर पर सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें नृत्य करते हुए एक ताल से दूसरी ताल में प्रवेश करना होता है। लंबे समय से नृत्य साधना करने वाले कलाकार ही इसे मंच पर साकार कर सकते हैं। देश तिल्लाना के तहत हनुमान जी की साधना के साथ नृत्यांगनाओं ने कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया।
अंगेत्रम् संस्कार हुआ पूरा
गौरतलब है कि जेकेके व आंगीकम् संस्थान की ओर से 24 से 28 जून तक भरतनाट्यम कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इसमें बालिकाओं को भरतनाट्यम का अक्षरज्ञान दिया गया। कार्यशाला के समापन के रूप हुई प्रस्तुति के साथ पूर्ण प्रशिक्षित शिष्याओं का अंगेत्रम् संस्कार भी पूरा हुआ। जिसमें भरतनाट्यम के सात भाग को एक साथ पेश कर अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रदर्शित की जाती है।

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