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जानकारी के अनुसार इस मशीन की खरीद के लिए 66 करोड़ का टेंडर कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में किया गया। इसके बाद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। नई सरकार कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में किए गए इस टेंडर की समीक्षा करती, उससे पहले विभाग के आला अधिकारियों ने इस मशीन को 100 दिन की कार्ययोजना में शामिल कर लिया और राशन डीलर्स को 22 हजार रुपए में थमाना शुरू कर दिया।
पुतली से सत्यापन के लिए खरीदी
खाद्य सुरक्षा योजना के तहत प्रदेश में लाखों ऐसे लाभार्थी हैं, जिनके हाथ की रेखाएं या अंगूठे के निशान घिस गए हैं और पोस मशीन पर सत्यापन में भारी परेशानी आ रही थी। सत्यापन नहीं होने के कारण उनको गेहूं नहीं मिल रहा था। इसके बाद ऐसे लाभार्थियों का आंखों की पुतली से सत्यापन के लिए वेइंग मशीन विद आईरिस स्कैनर खरीद की योजना बनी।
निगम की ओर से वेइंग मशीन विद आईरिस स्कैनर के राशन डीलर से 22 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। जबकि बाजार में यह मशीन 8 से 10 हजार रुपए में ही मिल रही है। टेंडर में गड़बड़झाला हुआ है और जांच होनी चाहिए।
– डिंपल शर्मा – प्रदेश अध्यक्ष, राशन डीलर्स समन्व्य समिति, राजस्थान
20 बार स्कैनर आखों पर लगाया,सत्यापन नहीं हुआ
जानकारी के अनुसार बुधवार को खाद्य विभाग के उच्च अधिकारी जयपुर शहर के रामगंज क्षेत्र में एक राशन की दुकान पर वेइंग मशीन विद आईरिस स्कैनर से सत्यापन की प्रक्रिया को देखने पहुंचे। बताया जा रहा है कि एक लाभार्थी की आंखों पर 10 बार से ज्यादा स्कैनर लगाया गया लेकिन आंख की पुतलियों से लाभार्थी का सत्यापन नहीं हुआ। ऐसा ही हाल वजन तौलने की मशीन का रहा। मशीन के साथ लगी पोस मशीन पर लाभार्थी का 10 मिनट तक सत्यापन नहीं हुआ और पर्ची जारी नहीं हुई।