सोसायटी ऑफ गेस्ट्रोइंटेस्टाइलन एंडोस्कोपी ऑफ इंडिया (एसजीईआई) व जयपुर के एसआर कल्ला हॉस्पिटल की ओर से एडवांस एंडोस्कोपी पर नेशनल वर्कशॉप के अंतिम दिन रविवार को गेस्ट्रोएंट्रोजी विशेषज्ञों ने ऐसी ही पेट की बीमारियों से जुड़ी नई इलाज तकनीकों के बारे में मंथन किया।
चीर-फाड़ की समस्या से निजात के लिए जुटे विशेषज्ञ
कॉन्फ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. मुकेश कल्ला ने बताया कि दो दिन की वर्कशॉप में देशभर से 400 से अधिक डॉक्टरों ने हिस्सा लिया और 10 से ज्यादा लाइव सर्जरी की गई, जिनका लाइव प्रर्दशन आयोजन स्थल में किया गया। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में पोयम, ईआरसीपी, ईएसजी तकनीक का पहली बार इस्तेमाल इस वर्कशॉप में किया गया है। मरीज को बिना चीर-फाड़ के समस्या से निजात मिल सके, इसके लिए देशभर से आए विशेषज्ञों ने अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी। समापन समारोह में एक्सपर्टस को सम्मानित किया गया। एसएमएस के डॉ. संदीप निझावन ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कॉन्फ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ. मुकेश कल्ला ने बताया कि दो दिन की वर्कशॉप में देशभर से 400 से अधिक डॉक्टरों ने हिस्सा लिया और 10 से ज्यादा लाइव सर्जरी की गई, जिनका लाइव प्रर्दशन आयोजन स्थल में किया गया। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में पोयम, ईआरसीपी, ईएसजी तकनीक का पहली बार इस्तेमाल इस वर्कशॉप में किया गया है। मरीज को बिना चीर-फाड़ के समस्या से निजात मिल सके, इसके लिए देशभर से आए विशेषज्ञों ने अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी दी। समापन समारोह में एक्सपर्टस को सम्मानित किया गया। एसएमएस के डॉ. संदीप निझावन ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कठोर भोजन नली के लिए पोयम प्रक्रिया -:
वर्कशॉप में सूरत के डॉ. पंकज देसाई ने बताया कि फूड पाइप कठोर होने पर मरीज को खाना निगलने में तकलीफ होती है। इसके लिए अब तक बैलून से फूड पाइप को ठीक किया जाता था, लेकिन इस प्रक्रिया में फूड पाइप के फटने के 40 प्रतिशत तक खतरा होता था। अब परओरल एंडोस्कोपी मायटोमी (पोयम) से बिना चीर-फाड़ के मरीज के फूड पाइप का रास्ता खोल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में 1 से 2 घंटे लगते हैं और 2 दिन बाद मरीज की छुट्टी कर दी जाती है।
वर्कशॉप में सूरत के डॉ. पंकज देसाई ने बताया कि फूड पाइप कठोर होने पर मरीज को खाना निगलने में तकलीफ होती है। इसके लिए अब तक बैलून से फूड पाइप को ठीक किया जाता था, लेकिन इस प्रक्रिया में फूड पाइप के फटने के 40 प्रतिशत तक खतरा होता था। अब परओरल एंडोस्कोपी मायटोमी (पोयम) से बिना चीर-फाड़ के मरीज के फूड पाइप का रास्ता खोल दिया जाता है। इस प्रक्रिया में 1 से 2 घंटे लगते हैं और 2 दिन बाद मरीज की छुट्टी कर दी जाती है।
स्पाई डीएस से लेजर से स्टोन का इलाज हैदराबाद के डॉ. राकेश कल्पाला ने बताया कि पित्त की नली में स्टोन फंसने पर उसे निकालना बेहद चुनौतीपूर्ण काम होता था, लेकिन नई इलाज तकनीक ईआरसीपी ने इसे काफी आसान कर दिया है। नैनो तकनीक से बने उपकरणों को अब पित्त की नली में आसानी से डाला जा सकता है और छोटे स्टोन को बिना किसी चीरफाड़ के निकाला जा सकता है। अगर स्टोन बड़ा है तो स्पाई डीएस तकनीक के जरिए लेजर से उसे तोड़कर बारीक टुकड़ों में निकाल सकते हैं।