अभी 500 मेगावाट की यह दो यूनिट है बंद
पांच सौ मेगावाट क्षमता की दो यूनिट तकनीकी कारण से बंद है। इनमें सूरतगढ़ और छबड़ा प्लांट की 250—250 मेगावाट क्षमता की दो यूनिट शामिल है। छबड़ा प्लांट में दो माह पहले हुए हादसे के कारण यह यूनिट शुरू नहीं की जा सकी है।
पांच सौ मेगावाट क्षमता की दो यूनिट तकनीकी कारण से बंद है। इनमें सूरतगढ़ और छबड़ा प्लांट की 250—250 मेगावाट क्षमता की दो यूनिट शामिल है। छबड़ा प्लांट में दो माह पहले हुए हादसे के कारण यह यूनिट शुरू नहीं की जा सकी है।
16 हजार मेगावाट पहुंचेेगी मांग
रबी बुवाई सीजन होने के कारण बिजली की मांग बढ़ती जा रही है। पिछले तीन दिन में यही डिमांड 15622 से लेकर 15683 मेगावाट तक रही थी। उर्जा विकास निगम ने आगामी दिनों में यही डिमांड 16 हजार मेगावाट को क्रॉस करने की संभावना जताई है। इसी आधार पर बिजली खरीद प्रबंधन किया जा रहा है।
रबी बुवाई सीजन होने के कारण बिजली की मांग बढ़ती जा रही है। पिछले तीन दिन में यही डिमांड 15622 से लेकर 15683 मेगावाट तक रही थी। उर्जा विकास निगम ने आगामी दिनों में यही डिमांड 16 हजार मेगावाट को क्रॉस करने की संभावना जताई है। इसी आधार पर बिजली खरीद प्रबंधन किया जा रहा है।
इधर, कोयला स्टॉक की चिंता
राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने पहले ही बिजली उत्पादन बढ़ा दिया हो,लेकिन कोयला स्टॉक की चिंता अब भी बनी हुई है। बिजलीघरों में 2 से 9 दिन के बीच का ही कोयला अब भी है। कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से कोयला सप्लाई के लिए प्रतिदिन 11.5 रैक का अनुबंध है, लेकिन 8 से 9 ही रैक मिल रही है। उधर, छत्तीसगढ़ में कोयले की आवंटित अतिरिक्त खदान से खनन प्रक्रिया की अनुमति नहीं मिलने भी टेंशन बढ़ती जा रही है। मौजूदा खदान में केवल एक माह का ही कोयला बचा है।
राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने पहले ही बिजली उत्पादन बढ़ा दिया हो,लेकिन कोयला स्टॉक की चिंता अब भी बनी हुई है। बिजलीघरों में 2 से 9 दिन के बीच का ही कोयला अब भी है। कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से कोयला सप्लाई के लिए प्रतिदिन 11.5 रैक का अनुबंध है, लेकिन 8 से 9 ही रैक मिल रही है। उधर, छत्तीसगढ़ में कोयले की आवंटित अतिरिक्त खदान से खनन प्रक्रिया की अनुमति नहीं मिलने भी टेंशन बढ़ती जा रही है। मौजूदा खदान में केवल एक माह का ही कोयला बचा है।