जयपुर

फिजी की अंतर्राष्ट्रीय भाषा लैब दुनिया को सिखाएगी हिंदी

जयशंकर और काटोनिवेरे ने किया 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का शुभारंभ- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में हिंदी की उपयोगिता पर रहा फोकस

जयपुरFeb 16, 2023 / 01:13 am

Ram brajesh pal

12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में मौजूद लोग

फिजी से अरुण कुमार

नाडी. फिजी के नाडी शहर में पारंपरिक रस्मों रिवाजों के बीच बुधवार को 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे ने दीप जलाकर देश दुनिया से आए हिंदी प्रेमियों का स्वागत किया। सम्मेलन का आयोजन फिजी सरकार के सहयोग से विदेश मंत्रालय ने किया है। सम्मेलन का मुख्य विषय हिंदी पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक है। सम्मेलन का आयोजन दुनियाभर में हिंदी के प्रचार प्रसार के साथ लोगों की भाषा बनाने के लिए किया गया है। कार्यक्रम में फिजी का पारंपरिक स्वागत पाकर जयशंकर ने आभार जताया। उन्होंने भारत और फिजी के स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि की कामना के साथ प्रथम कावा भी ग्रहण किया। इससे पहले कार्यक्रम को विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन और केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा ने भी संबोधित किया। मुरलीधरन ने कहा कि भारत जल्द फिजी में एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा लैब स्थापित करेगा जो दुनिया को हिंदी सिखाएगी और प्रचार-प्रसार करेगी।
सम्मेलन में फिजी के राष्ट्रपति काटोनिवेरे ने कहा कि हिंदी सम्मेलन का यह मंच भारत साथ फिजी के ऐतिहासिक और विशेष संबंधों की स्थाई ताकत का जश्र मनाने का अनूठा अवसर देता है। दोनों देश कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के साथ हिंदी के विकास पर काम करेंगे। विदेश मंत्री जयशंकर और काटोनिवेरे ने एक साझा डाक टिकट भी जारी किया। फिजी पोस्ट के सहयोग से जारी इस डाक टिकट में हिंदी सम्मेलन के लोगों को उकेरा गया है। कार्यक्रम में स्मारिका और गगनांचल समेत छह पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

कृत्रिम मेधा और हिंदी के मेल पर चर्चा
सम्मेलन में विदेश मंत्री जयशंकर, फिजी के राष्ट्रपति काटोनिवेरे, भारतीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा और विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कृत्रिम मेधा यानि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ हिंदी को उपयोगी बनाने पर चर्चा की। सभी ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम के लिए हिंदी का तकनीकी विकास और सहज उपयोग जरूरी है। हिंदी तभी वैश्विक रोजगार की भाषा बन पाएगी।

गणेश वंदना से गदगद हुए हिंदी प्रेमी
कार्यक्रम के शुभारंभ के बाद फिजी के तरफ से दोनों देशों के स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि के लिए पारंपरिक गणेश वंदना की गई। करीब 40 मिनट तक चले इस अनुष्ठान ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया। विदेश मंत्री जयशंकर ने पूरी तन्मयता से विध्रहर्ता गणेश पूजा को देखा और खुद को गौरवांन्वित महसूस किया। खास बात है कि इस पूजा के दौरान सभी को अपना आसन ग्रण करना जरूरी होता है।

छह किताबों का विमोचन
कार्यक्रम में भारतीय विदेश मंत्री और फिजी के राष्ट्रपति ने छह पुस्तकों का विमोचन किया। इसमें 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए प्रकाशित की जाने वाली विशेष पत्रिका स्मारिका, फिजी का हिंदी साहित्य एक संचयन, हिंदी और भारतीय संस्कृति पर आधारित गगनांचल, विश्व हिंदी पत्रिका, राजभाषा भारती और आरंभिका का विमोचन किया गया।

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