उन्होंने आंकड़ों के जरिए बताया कि देश की विभिन्न एनआईटी संस्थानों में केवल 12.8 फीसदी महिला संकाय सदस्य हैं, जिसे 2030 तक 30 फीसदी किए जाने की जरूरत है। वहीं, एनआईटी में स्नातक पाठ्यक्रमों और तकनीकी शिक्षा में भी औसतन 21 फीसदी महिला छात्र ही पढ़ रही हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए स्कूली स्तर पर आउटरीच कार्यक्रमों की मदद से लड़कियों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ा जा सकता है। साथ ही फीमेल एलमनी और माता-पिता भी इसमें मदद कर सकते हैं।
शिक्षाविदों के लिए आयोजित एन-लीप लीडरशिप के अंतर्गत डॉ. अमर पटनायक ने कहा कि राष्ट्र के विकास और संस्थाओ के निर्माण के लिए कोलैबोरेशन की संस्कृति जरूरी है। एनआईटी उत्तराखंड के निदेशक प्रो. ललित कुमार ने एक शैक्षणिक संस्थान में नेतृत्व की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने सुझाव दिया कि युवा संकाय को कम परियोजनाओं का प्रयास करते हुए नंबर गेम का पीछा नहीं करना चाहिए। युवा फैकल्टी को आज अगले दशक के लिए शोध करने पर ध्यान देना चाहिए। एमएनआईटी, इलाहाबाद के निदेशक प्रो. रमा शंकर वर्मा ने लाभार्थियों को नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में एनआईटी, सिक्किम के निदेशक प्रो. एम.सी. गोविल, एमएनआईटी, जयपुर के निदेशक डॉ. एन पी पाढ़ी और एनआईटी वारंगल के निदेशक प्रो. विद्याधर सुबुद्धि ने भी अपने विषय पर अनुभव साझा किए।